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भारत देश की पुलिस जनता के लिए कब काम करेगी? कब तक नेताओं का प्यादा बनकर उनकी चाटुकारिता करती रहेगी?

उल्हासनगर का विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन भ्रष्टाचार का अड्डा के नाम से एक खबर लीख कर आप लोगों को यह बताया कि किस तरह विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक रमेश भामे और उनके दो भ्रष्ट सहयोगी राहुल काले और रोहिदास बुधवंत ने विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है। 
                          उल्हासनगर पुलिस सहउपायुक्त डी.डी.टेले                   ठाणे आयुक्तालय क्षेत्र के उल्हासनगर स्थित विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन में पैसे लेकर पांच पुलिस मित्रों को डकैत बना दिया गया इस आशय का एक पत्र हमें मिला है, जिसमें लिखा है, पुलिस उपायुक्त पी पी शेवाले, पुलिस सहउपायुक्त डीडी टेले से पूछकर रु.10 लाख लेकर यह संगीन गुनाह दर्ज किया गया। भुक्तभोगीयों ने पत्र में यह भी लिखा है कि इन पांच पुलिस मित्रों गौतम वाघ, दीपक केसरी, रजनीकांत उर्फ बंटी गायकवाड़, लवसहानी और संतोष गुप्ता से विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन के वसूली बाज राहुल काले ने रुपये 1लाख50 हजार लाकर देने के लिए कहा था। जिसमें से पुलिस वाले रु 50 हजार गुटखा व्यापारी सिताराम उर्फ सुरेश गुप्ता को देनेवाले थे।बतादें यह वही गुटखा व्यापारी सुरेश गुप्ता है जिसको इन पांचों पुलिस मित्रों की निशानदेही पर पुलिस ने 28 जून 2020 की सुबह साढ़े सात बजे पुलिस हवलदार माली और सहायक पुलिस निरीक्षक अतुल उर्फ बबल्या सोनावणे ने तम्बाकू गुटखा बीड़ी सिगरेट और अन्य तम्बाकू जनित पदार्थो के साथ पकड़ा और ले देकर भा.दं.सं. 328 की जगह 188 के तहत मामला दर्ज कर मामूली दंड भरवा कर छोड़ दिया।.         हमारे समाचारपत्र अग्नि पर्व टाइम्स और सोसल मिडिया साइट पर अक्सर पुलिस विभाग के अवैध धंधो का खुलासाा हम करते रहते हैं। हमने कल्याण के सहउपायुक्त अनिल पोवार, कल्याण महात्मा पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक प्रकाश लोंडे, डोम्बिवली के कई पुलिसकर्मियों की तस्वीर के साथ समाचार लिखकर जनता और शासन प्रशासन को हमने सतर्क किया और यह बताया कि गुनाह और गुनाहगारों को पुलिस विभाग ही बढावा और संरक्षण देता है।और उनसे अकूत संपत्ति जमा करता है। यह मामला विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक रमेश भामे का ही नहीं अगर जांच की जाय तो 99%पुलिस वाालों के पास आय से अधिक संपत्ति मिलेगी कई पुलिस सिपाही तो करोड़़पति हैं. अब सोचना यह है कि वरिष्ठ अधिकारियों के पास कितनी संपत्ति होगी? वंही कुछ पुलिस कर्मी यह कहते सुने जाते हैं कि उनको उपर तक यानी मंत्रालय तक पैसा पंहुंचाना पड़ता है। राज्य सरकारें पुलिस विभाग को कमाई का जरिया बना कर उनका दोहन करती हैं। यही कारण है कि पोर्ट का एक कुली हाजी मस्तान बन जाता है और मुंबई पुलिस के एक हवलदार का दसवीं फेल बेटा दाऊद इब्राहिम बन देश को दहलाने के बाद पाकिस्तान में जाकर छुप जाता है और पाकिस्तान में बैठकर भारत देश में बड़े बड़े कांड करवा देता है यही नहीं आज भी मुंबई स्थित फिल्मी दुनिया पर उसका अधिपत्य चलता है। पुलिस की क्या कहें अब तो न्यायालय में भी न्याय बिकने लगा है। जनता का भरोसा अब पुलिस विभाग और न्यायपालिका से दिनों दिन कम होता चला जा रहा है। इसलिए किसी बड़ी क्रांति से पहले पुलिस विभाग का रिफार्म जरूरी है, राज्य सरकारों का अधिपत्य पुलिस विभाग से खत्म होना चाहिए अगर देश और देश की जनता को महफूज रखना है तो बुद्धिजीवियों को जागरूक होना पड़ेगा हर व्यक्ति को बिना लालच मतदान करना पड़ेगा। जो नेता आज सब कुछ जानकार पुलिस के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज नहीं उठाते ऐसे सभी नेताओं को उनकी औकात दिखाया जाना जरूरी है। 

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