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हिन्दूओं का हिन्दू होना क्यों औरों को नहीं भाता?

श्रीमान मैं एक हिन्दू हूँ, और जन्म से ही हिन्दू हूँ क्योंकि मैं अपने आपको हिन्दू मानता भी हूँ, और समझता भी हूँ। परंतु मेरा हिन्दू मानना भारत में कुछ लोगों को नहीं भाता मेरा हिन्दू मानना ही मुझे सांप्रदायिक बना देता है।क्योंकि उन लोगों को हमसे उम्मीद है, हिन्दू होने पर हमें शर्म करना चाहिए और सार्वजनिक तौर पर हमें अपने आपको हिन्दू कहने से परहेज करना चाहिए। हिन्दूओं को घोषणा करनी चाहिए कि वह धर्मनिरपेक्ष है। जब हिन्दू धर्म पर हमला हो, हिन्दू धर्म का उपहास उड़ाया जा रहा हो तब हिन्दूओं को चुप रहना चाहिए सहिष्णु रहना चाहिए। हिन्दूओं का मानना है कि सभी धर्म एक ही सत्य कि ओर ले जाते हैं। जबकि कुछ अन्य धर्म अपनी विशिष्टता का बखान करते हैं और महसूस करते है कि उनका धर्म ही सत्य है और वही मोक्ष की ओर ले जाता है। वे चाहते हैं की वे अपने धर्म को खुंखार हिन्दूओं से अपने आपको और अपने धर्म को दूर ही रखें तो बेहतर होगा। हिन्दू दूसरे को धर्मांतरित करने का अधिकार देतें हैं और उसे सहर्ष स्वीकार करते हैं। गली चौराहे पर अपने धार्मिक देवी देवताओं का अपमान स्वीकार करने में विश्वास रखते हैं। देवी देवताओं के अपमान पर विरोध नहीं दर्ज कराते। हिन्दू अपने विश्वास को निष्पक्ष या बेईमानी से प्रचार करने के लिए दूसरों को स्वीकार करते हैं। सरकारें हिन्दू मंदिरों का प्रबंधन खुद करती हैं।परंतु अन्य धर्म स्थलों की तरफ नज़र उठाकर देखने की हिम्मत भी नहीं दिखा सकती क्योंकि हम हिन्दू हैं। अगर हमने अपने आराध्य का नाम सरेआम ले लिया तो कट्टरपंथी। सामने से चाहे हर पल चिल्लाना सुरु हो। कांग्रेस, कम्युनिस्टों ने हिन्दूओं को अपने सनातन धर्म से दूर करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाये और हमें अपने मूल भाषा और संस्कृति की शिक्षा से भी दूर कर दिया। हिन्दूओं ने अपना सुनहरा इतिहास तक गंवा दिया और अपनी अधोगति तक पहुंच गये। रामनवमी कृष्ण जन्माष्टमी राष्ट्रीय अवकाश नहीं परंतु नबी के जन्म को राष्ट्रीय अवकाश है, परंतु हमें कोई एतराज नहीं क्यों हम सहिष्णु हिन्दू हैं। ईश्वर अल्लाह तेरो नाम यह और कोई नहीं गाता परंतु हम गाते हैं क्योंकि हम सहिष्णु हैं। हम तो वह सहिष्णु हिन्दू हैं जिन्होंने मैक्स मूलर को अपने वेदों के अनुवाद के लिए स्वीकार किया कुछ लोग तो उसे ऋषि कहते हैं जबकि उन्होंने ईसाई धर्म को महान बताने के लिए वेदों का अनुवाद किया था हम उसे इस कृत्य के लिए क्षमा करते हैं और उसके काम के लिये याद करते हैं क्योंकि हम सहिष्णु हिन्दू हैं। ईसाई धर्म को उंचा साबित करने के लिए अनेकानेक उलट फेर किया। 1886 में मैक्स मूलर ने अपनी पत्नी को एक पत्र लिखकर बताया कि मैंने अपना काम कर दिया है। वेदों का अनुवाद हिन्दूओं की जड़ें खोखली करने के लिए सहायक हों ऐसा बहुत कुछ मैने किया परंतु देखने के लिए मैं जिन्दा नहीं रहूंगा। मैक्स मूलर ने भारत के सचिव को कई पत्र लिखे और कहा हिन्दुत्व में कुछ बचा नहीं है, ईसाईयत में कदम न रखने पर बर्बादी के लिए स्वयं जिम्मेदार होंगे। परंतु हम मैक्स मूलर के उद्देश्य को भूल जाते हैं सिर्फ काम याद रखते हैं। अंबेडकर ने हिन्दू धर्म का अपमान किया और मजाक उड़ाया फिर भी हम उनसे प्यार करते हैं और उन्हें अपनाया क्योंकि हम सहिष्णु हैं। संविधान के प्रारुपण में बी. एन. राव, कृष्णा स्वामी के अलावा अन्य कई लोगों का बहुत बड़ा योगदान रहा परंतु उनको हम याद नहीं करते क्योंकि उन्होंने हिन्दू धर्म का अपमान नहीं किया और न ही मजाक उड़ाया। देश की सरकारें बहुसंख्यकों की अपेक्षा अल्पसंख्यकों में ज्यादा रुचि रखती है। जिस तरह का व्यवहार सरकारें हिन्दूओं के साथ करती हैं उससे मैं व्यथित हूँ। हिन्दूओं को हल्के में लिया जाता है और उनकी सहनशीलता को उनकी कमजोरी मानते हैं। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सरकारें हिन्दूओं की भावनाओं को रौंदती हैं देश में तनाव सरकारों की एकतरफा नीति के कारण है। 

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