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कोरोना स्वावलंबी बनाने के लिए आया है

आज कोरोना विषाणु के फैलाव के चलते सारे देश में तालाबंदी की स्थिति बनी हुई है। पुलिस बल लोगों को समझा के, गीत गाकर और न मानने पर डंडे का डर दिखाकर लोगों को अपने-अपने घरो में रहने के लिए कह रहा है। वंही कुछ लोग इस महामारी को मजाक में लेकर महामारी फैलाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। कुछ लोग अब भी महामारी की गंभीरता से समझने को तैयार नहीं वे लोग पुलिस और इलाज करनेवाले चिकित्सकों को ही अपना दुश्मन समझ कर उन पर हमला कर रहे हैं। ऐसे लोग खुद तो महामारी का शिकार होंगे ही और अपने परिवार और चीरपरिचीतों को भी नहीं छोड़ेंगे। सरकार संपूर्ण तालाबंदी इसलिए चाहती है, जिससे कोरोना विषाणुओं का प्रसार रोका जा सके क्योंकि यह विषाणु मानव द्वारा ही संक्रमित होता है।इसलिए संपूर्ण तालाबंदी के सिवा कोई चारा भी नहीं है। यंहा अब यह सवाल उठता है की क्या यह तालाबंदी जब तक दवा नहीं बन जाती तब तक जारी रहेगी? अगर हाँ तब तक लोगों का भरण पोषण कैसे होगा। इसलिए सरकार चाहती है एक बार विषाणु के फैलाव को रोक दिया जाय और लोगों में एक बार दूरी बनाने के साथ ही मास्क लगाने की आदत पड़ गयी तो कोरोना के साथ भी जिया जा सकता है। H1N1 विषाणु क्या खत्म हो गये? नहीं फिर भी परहेज से लोग बचे हुए हैं। 
हमें फिर से अपने अतीत में जाना होगा कंही बाहर से आने के बाद नहाने के बाद घर में जाना होगा बाहर का खाना बंद करना होगा, शादी-ब्याह ब्याह में गिने-चुने लोगों को ही बुलाना होगा और हमें खुद ही पता लगाना होगा कि जिस गांव या शहर में हम जाने वाले हैं या फिर वंहा से किसी को बुलाने वाले हैं वंहा करोना से बचाव के सारे नियम अपनाये जा रहे हैं या नहीं। यानी फिर से छुआछूत को अपनाना होगा अब गले मिलने के बजाय दूर से ही नमस्ते या नमस्कार करके अभिवादन स्वीकार करना होगा। दिखावे और आडंबर से दूर रहना होगा अपने घर और रहन सहन के तौर तरीके में बदलाव लाने तक संपूर्ण तालाबंदी ही एक मात्र उपाय है। शरीर और आत्मा दोनों को बलिष्ठ बनाना होगा बाहरी आडंबर की जगह आंतरिक शक्ति बढ़ानी होगी। इस तरह करोना के साथ जीवन जीने के तरीके अपना कर हम करोना को हरा सकते हैं। करोना से बड़ा दुश्मन हमारी लापरवाह जिवन शैली है।हमें जीवन में कुछ सुधार लाने की जरूरत है यह याद दिलाने के लिए शायद यह करोना विषाणु हमारे जीवन में आया है। करोना कहता है स्वावलंबी बनो अपने पर आधारित रहो जो अपने पास है उसी में जिवन जिओ। 
आज कोरोना विषाणु के फैलाव के चलते सारे देश में तालाबंदी की स्थिति बनी हुई है। पुलिस बल लोगों को समझा के, गीत गाकर और न मानने पर डंडे का डर दिखाकर लोगों को अपने-अपने घरो में रहने के लिए कह रहा है। वंही कुछ लोग इस महामारी को मजाक में लेकर महामारी फैलाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। कुछ लोग अब भी महामारी की गंभीरता से समझने को तैयार नहीं वे लोग पुलिस और इलाज करनेवाले चिकित्सकों को ही अपना दुश्मन समझ कर उन पर हमला कर रहे हैं। ऐसे लोग खुद तो महामारी का शिकार होंगे ही और अपने परिवार और चीरपरिचीतों को भी नहीं छोड़ेंगे। सरकार संपूर्ण तालाबंदी इसलिए चाहती है, जिससे कोरोना विषाणुओं का प्रसार रोका जा सके क्योंकि यह विषाणु मानव द्वारा ही संक्रमित होता है।इसलिए संपूर्ण तालाबंदी के सिवा कोई चारा भी नहीं है। यंहा अब यह सवाल उठता है की क्या यह तालाबंदी जब तक दवा नहीं बन जाती तब तक जारी रहेगी? अगर हाँ तब तक लोगों का भरण पोषण कैसे होगा। इसलिए सरकार चाहती है एक बार विषाणु के फैलाव को रोक दिया जाय और लोगों में एक बार दूरी बनाने के साथ ही मास्क लगाने की आदत पड़ गयी तो कोरोना के साथ भी जिया जा सकता है। H1N1 विषाणु क्या खत्म हो गये? नहीं फिर भी परहेज से लोग बचे हुए हैं। हमें फिर से अपने अतीत में जाना होगा कंही बाहर से आने के बाद नहाने के बाद घर में जाना होगा बाहर का खाना बंद करना होगा, शादी-ब्याह ब्याह में गिने-चुने लोगों को ही बुलाना होगा और हमें खुद ही पता लगाना होगा कि जिस गांव या शहर में हम जाने वाले हैं या फिर वंहा से किसी को बुलाने वाले हैं वंहा करोना से बचाव के सारे नियम अपनाये जा रहे हैं या नहीं। यानी फिर से छुआछूत को अपनाना होगा अब गले मिलने के बजाय दूर से ही नमस्ते या नमस्कार करके अभिवादन स्वीकार करना होगा। दिखावे और आडंबर से दूर रहना होगा अपने घर और रहन सहन के तौर तरीके में बदलाव लाने तक संपूर्ण तालाबंदी ही एक मात्र उपाय है। शरीर और आत्मा दोनों को बलिष्ठ बनाना होगा बाहरी आडंबर की जगह आंतरिक शक्ति बढ़ानी होगी। इस तरह करोना के साथ जीवन जीने के तरीके अपना कर हम करोना को हरा सकते हैं। करोना से बड़ा दुश्मन हमारी लापरवाह जिवन शैली है।आज कोरोना विषाणु के फैलाव के चलते सारे देश में तालाबंदी की स्थिति बनी हुई है। पुलिस बल लोगों को समझा के, गीत गाकर और न मानने पर डंडे का डर दिखाकर लोगों को अपने-अपने घरो में रहने के लिए कह रहा है। वंही कुछ लोग इस महामारी को मजाक में लेकर महामारी फैलाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। कुछ लोग अब भी महामारी की गंभीरता से समझने को तैयार नहीं वे लोग पुलिस और इलाज करनेवाले चिकित्सकों को ही अपना दुश्मन समझ कर उन पर हमला कर रहे हैं। ऐसे लोग खुद तो महामारी का शिकार होंगे ही और अपने परिवार और चीरपरिचीतों को भी नहीं छोड़ेंगे। सरकार संपूर्ण तालाबंदी इसलिए चाहती है, जिससे कोरोना विषाणुओं का प्रसार रोका जा सके क्योंकि यह विषाणु मानव द्वारा ही संक्रमित होता है।इसलिए संपूर्ण तालाबंदी के सिवा कोई चारा भी नहीं है। यंहा अब यह सवाल उठता है की क्या यह तालाबंदी जब तक दवा नहीं बन जाती तब तक जारी रहेगी? अगर हाँ तब तक लोगों का भरण पोषण कैसे होगा। इसलिए सरकार चाहती है एक बार विषाणु के फैलाव को रोक दिया जाय और लोगों में एक बार दूरी बनाने के साथ ही मास्क लगाने की आदत पड़ गयी तो कोरोना के साथ भी जिया जा सकता है। H1N1 विषाणु क्या खत्म हो गये? नहीं फिर भी परहेज से लोग बचे हुए हैं। हमें फिर से अपने अतीत में जाना होगा कंही बाहर से आने के बाद नहाने के बाद घर में जाना होगा बाहर का खाना बंद करना होगा, शादी-ब्याह ब्याह में गिने-चुने लोगों को ही बुलाना होगा और हमें खुद ही पता लगाना होगा कि जिस गांव या शहर में हम जाने वाले हैं या फिर वंहा से किसी को बुलाने वाले हैं वंहा करोना से बचाव के सारे नियम अपनाये जा रहे हैं या नहीं। यानी फिर से छुआछूत को अपनाना होगा अब गले मिलने के बजाय दूर से ही नमस्ते या नमस्कार करके अभिवादन स्वीकार करना होगा। दिखावे और आडंबर से दूर रहना होगा अपने घर और रहन सहन के तौर तरीके में बदलाव लाने तक संपूर्ण तालाबंदी ही एक मात्र उपाय है। शरीर और आत्मा दोनों को बलिष्ठ बनाना होगा बाहरी आडंबर की जगह आंतरिक शक्ति बढ़ानी होगी। इस तरह करोना के साथ जीवन जीने के तरीके अपना कर हम करोना को हरा सकते हैं। करोना से बड़ा दुश्मन हमारी लापरवाह जिवन शैली है।हमें जीवन में कुछ सुधार लाने की जरूरत है यह याद दिलाने के लिए शायद करोना विषाणु हमारे जीवन में आया है। हमें जीवन में कुछ सुधार लाने की जरूरत है यह याद दिलाने के लिए शायद यह करोना विषाणु हमारे जीवन में आया है। 

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