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उल्हासनगर १४१ विधानसभा को मिला लुटेरा विधायक, जनहित से सरोकार नहीं !!

 विधायक कुमार आयलानी सिर्फ अपने कमाई का मुद्दा ही उठाते हैं, जनहित गया भाड़ में!
                          चंद्रकांत मिश्र.                 और.              कुमार आयलानी 

उल्हासनगर (अग्निपर्व टाइम्स) : उल्हासनगर शहर में अवैध बसे आम रहवासियों को जमीन का मालिकाना हक कम मिलना चाहिए, यह लड़ाई भाजपा के पूर्व महासचिव चंद्रकांत मिश्र कई वर्षों से लड़ रहे हैं। महाराष्ट्र राज्य सरकार में राजस्व एवं पशु संवर्धन,दुग्ध व्यवसाय मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को दिए गए पत्र पर सार्थक चर्चा कर कार्यान्वित करने के लिए थाने जिलाधिकारी ने अपने कार्यालय में बुलाया था। चर्चा के दौरान विधायक कुमार आयलानी ने अपने निजी फायदे हेतु सिर्फ इमारतों के मुद्दे उठाये और उनको अधिकृत करने को कहा, तो वहीं पूर्व भाजपा जिला महासचिव ने कहा सभी लोगों को जमीनों का मालिकाना हक मिलना चाहिए और उनके द्वारा कब्जा की गई जमीन उनके नाम की जाय ताकि वे अनधिकृत निर्माण करने से बच सकेंगे और शहर का सर्वांगीण विकास होगा।

बतादें भेंट व चर्चा के लिए महसूल मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के निर्देशानुसार ठाणे जिलाधिकारी ने गुरुवार ४ दिसंबर २०२५ को बुलाया था, जहाँ भाजपा विधायक कुमार आयलानी अपने निजी सचिव सोनार के साथ व पूर्व भाजपा महासचिव चंद्रकांत मिश्र भाजपा कार्यकर्ता सुरेश लुधवानी के साथ पहुंचे। चर्चा व कार्यान्वयन की इस भेंट में जिलाधिकारी के साथ उपविभागिय अधिकारी (एसडीओ) भूमापन अधिकारी और मनपा शहर नियोजन अधिकारी (टाऊन प्लानर) उपस्थित रहे।

चर्चा का विषय : १) जर्जर इमारतों को डी फार्म के साथ ही सरकारी जमीन व आधी सनद पर बनी २०२४ तक बनी इमारतोंं को नियमित कर स्वामित्व प्रदान करने हेतु (२)अनाधिकृत इमारतों व निर्मित संपत्तियों के पुनर्सवेक्षण का काम युद्धस्तर पर किए जाने के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति करने हेतु (३) झोपड़पट्टियों का भी भू-सर्वेक्षण करते हुए नगरविकास योजना से बाधित न होने वाले निर्माणों को स्वामित्व प्रदान हेतु मंत्री महोदय व मुख्य सचिव से गहन चर्चा कर, नागपुर तर्ज पर जैसा कि निर्वासित कालोनियों का बाजार भाव के २.५% की दर से जमीन मूल्य निर्धारित करते हुए वर्ग में स्वामित्व प्रदान करना। पूर्व भाजपा महासचिव ने डीपी एक्ट १९५४ के साथ केन्द्र सरकार, राज्य सरकार व अखिल भारतीय सिन्धी कौंसिल का जिक्र करते हुए १९८३ वर्ष १९८० का उल्लेख किया। यह भी बताया कि जब राजस्व मंत्री शालिनीताई व वसंत दादा पाटिल के समय से जमीनी मुद्दा हल करने के लिए चंद्रकांत मिश्र मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा सरकारें आम जनहित को छोड़ कर ५० वर्षो से भू-माफियाओं की रोजी रोटी चलाने के लिए छोड़ रखा है। 

विधायक कुमार आयलानी ने अवैध व जर्जर इमारतों पर जोर देते रहे और आग्रह कि त्वरित प्रभाव से जर्जर इमारतों को नियमित करने का कार्य संपन्न किया जाय। सर्वेक्षण व अन्य विषयों पर बाद में निर्णय लिया जा सकता है। इसपर जिलाधिकारी महोदय ने स्पष्ट किया कि हम सर्वेक्षण और नियमन कार्य दोनों साथ में संचालित करने का प्रयत्न करेंगे। उपविभागिय अधिकारी शर्माजी ने नियमन के साथ जमीन का स्वामित्व प्रदान करते समय वर्ग करने की बात कही, जिलाधिकारी भी सहमत दिखे। आमदार आयलानी द्वारा जर्जर इमारतों पर अधिक जोर देने से स्पष्ट होता है कि भूतकाल में आमदार व अवैध बिल्डर लाबी द्वारा वर्ष १९८९ से २००३ तक हुए इमारतों के अवैध निर्माण में सम्मिलित थे। जिनको बाद में उच्चतम न्यायालय ने तोड़ने का आदेश दिया था। तत्कालिन महाराष्ट्र सरकार के एडवोकेट जर्नल ने हस्तक्षेप करते हुए शपथपत्र देकर आश्वासन दिया कि हम अवैध इमारतों को नियमित व नियंत्रित करेंगे, उसके बाद न्यायालय ने १ वर्ष में नियमित करने का आदेश दिया। फलस्वरूप २००६ मार्च महीने में तत्कालीन राजस्व सचिव रामानंद तिवारी की रिपोर्ट के अनुसार ८४३ अवैध इमारतों को नियमित करने का आदेश पारित किया गया। जो कि तकनीकी कारणों से अधर में लटका पड़ा है। मुलाकात में मिश्र ने जिलाधिकारी से अनुरोध किया कि डीपी एक्ट १९५४ के अनुसार सभी अवैध निर्माणों को छाननी समिति द्वारा निर्देशित रुपये ३.५० प्रति चौरस मिटर मुल्य के आधार पर, स्वामित्व प्रदान करे, निर्वासित व गैरनिर्वासित का भेदभाव न करते हुए। अब देखना होगा की यह सरकार मिश्राजी की बातों को कितना तव्वजो देती है। और वर्षो से चला आ रहा यह मुद्दा यह सरकार हल करती है या फिर लटका रहता है यह तो वक्त ही बतायेगा। 

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