बार चालक
वरिष्ठ निरीक्षक कोनगांव पुलिस स्टेशन
भिवंडी : भिवंडी बायपास पर सिंगर नामक आरकेस्ट्रा के नामपर चल रहे डांसबारों में चल रही काली करतूतों को उजागर करने के प्रयास से बौखलाए डांसबार मालिकों ने एक सुनियोजित साजिश के तहत कोनगांव पुलिसस्टेशन की हद में, शुभम मिश्रा पर करवाया हमला। PSI शिंदे और सहयोगी पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में हुआ हमला। डांसबार मालिक पुलिस साजिश में शामिल?
भिवंडी : भिवंडी बायपास पर सिंगर नामक आरकेस्ट्रा के नामपर चल रहे डांसबारों में चल रही काली करतूतों को उजागर करने के प्रयास से बौखलाए डांसबार मालिकों ने एक सुनियोजित साजिश के तहत कोनगांव पुलिसस्टेशन की हद में, शुभम मिश्रा पर करवाया हमला। PSI शिंदे और सहयोगी पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में हुआ हमला। डांसबार मालिक पुलिस साजिश में शामिल?
PSI शिंदे ख
पुलिस की संदिग्ध भूमिका
घटना के बाद शुभम मिश्रा कोनगांव पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने के लिए लिखित शिकायत के साथ पहुंचे। परंतु पुलिस ने शिकायत दर्ज करने से इंकार कर दिया और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक ने अर्जी स्वीकार करने से पहले शर्त रखी कि पहले अपने शिकायती पत्र से पुलिस कर्मचारियों के नाम हटाने होंगे उसके बाद ही शिकायत लेंगे। यह शर्त न केवल अनैतिक थी, बल्कि यह पुलिस प्रशासन की नीयत पर सवाल उठाने वाली थी। शुभम ने दबाव के चलते मजबूरन पुलिसकर्मियों के नाम हटा दिया। अब यह सवाल उठता है कि वरिष्ठ निरीक्षक ने शिकायत लेकर अपने कनिष्ठ पुलिसकर्मियों की जांच क्यों नहीं किया और यह जानने की कोशिश क्यों नहीं किया कि अवैध रीत से चल रहे बार को बंद क्यों नहीं किया। जब एक पत्रकार अपना कार्य कर रहा था उसको सुरक्षा क्यों नहीं दिया।
अवैध डांसबारों को मिल रही है पुलिस सुरक्षा?
कोनगांव पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक की भुमिका संदिग्ध नजर आ रही है। और उनकी भूमिका पर कयी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर डांस बारों को इतनी सुरक्षा क्यों दी जा रही है? क्या बारों में चल रही अवैध गतिविधियों में पुलिस प्रशासन की हिस्सेदारी है? भिवंडी बायपास पर सारी रात ने चल रहे आरकेस्ट्रा के नाम पर चल रहे इन डांसबारों न केवल सामाजिक मर्यादाओं को बर्बाद किया है बल्कि अपराध और अनैतिक गतिविधियों का केंद्र भी बने हुए हैं। फिर भी, पुलिस इन बारों के अंदर और इर्द-गिर्द देखी जाती है, फिर भी इन बारों की अवैध गतिविधियों में फर्क नहीं पड़ता यह चिंता का विषय है। पत्रकार पर हुए हमले को रोक न पाना पुलिस की निष्क्रियता ही है !
पत्रकार पर हुआ हमला, लोकतंत्र पर प्रहार है
शुभम मिश्रा पर हुआ यह हमला केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि स्वतंत्र पत्रकारिता और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर प्रहार है। पत्रकारों का काम सच को उजागर करना है, और उन्हें ही मारा पीटा और डराया-धमकाया जाएगा तो सच समाज के सामने कौन लाएगा और कैसे आयेगा? यह हमले की घटना न केवल पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अपराधी तत्वों को पुलिस का सहयोग और समर्थन हासिल है इसीलिए वे बेखौफ हो चुके हैं।
कार्रवाई की मांग
इस घटना ने जनता के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। लोग मांग कर रहे हैं कि डांस बार मालिकों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो । साथ ही कोनगांव पुलिसस्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक की भी जांच होनी चाहिए। जगजाहिर है कि हफ्ते के जोर पर बार वालों ने बार को डांसबार में तब्दील कर दिया है जहाँ रात भर चालिस पचास बालिग नाबालिक लड़कियां अधनंगी अवस्था में नाचती और अश्लील इशारे करती हैं और ग्राहक नशे की जद में नोट उड़ाता है। पत्रकार पर हुए हमले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। और दोषियों पर कठोर कार्रवाई होना चाहिए साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि पत्रकारों को अपनी ड्यूटी निभाने के लिए पुलिस प्रशासन सुरक्षित माहौल बनाये। यहाँ यह बताते चलें कि मुंबई महानगर स्थित इसी प्रकार के बार चालक बिना परिचय के किसीको बार में अंदर जाने नहीं देते और भीतर नोट उड़ाये जाते हैं। यह अवैध कारगुजारी बंद कराने के लिए भारत तोलानी और कमलेश विद्रोही मुंबई के आजाद मैदान में दस दिनों से आमरण उपोषण पर बैठे हुए हैं।
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