उल्हासनगर: ठाणे पुलिस आयुक्तालय क्षेत्र में सॉफ्टवेयर बनाकर राजश्री जैसी कंप्यूटरीकृत लाटरी की दुकानें उल्हासनगर पुलिस स्टेशन के शहाड स्टेशन के पास व अन्य कई जगहों पर खोली गयी है। पुलिस से पुछने पर कहा कोर्ट से परमिशन लेकर खोली गयी हैं दुकानें, अब झटपट लाटरी चलाने का परमीशन जब कोर्ट देने लगा है, तो शहरवासियों के लिए जुआ अनिवार्य कर देना चाहिए। बच्चों की उम्र जैसे ही पंद्रह वर्ष की हो पहले लाटरी और जुआ खेलने के लिए सेंटर में भेजा जाना चाहिए।
एक ओर विधानसभा सत्र चल रहा है तो दूसरी ओर उल्हासनगर पुलिस स्टेशन के क्षेत्र में धड़ल्ले से आनलाइन लॉटरी की दुकाने फिर से शुरू हो गई है। हर बार जब यह झटपट लॉटरी का गोरखधंधा शुरू होता है तो खिलाफत भी शुरू हो जाती है। एक बार तो विधायक बच्चू कडु विधानभवन के बाहर धरने पर बैठ गये थे। जबकी भाजपा विधायक कुमार आयलानी ने 11 जुलाई को तबके उपमुख्यमंत्री और आज के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस से प्रत्यक्ष मिलकर लॉटरी सहित उल्हासनगर मे खुलेआम देर रात तक चलने वाले डांसबारों व बिकने वाले नशीले पदार्थों की बिक्री रोकने के लिए लिखित शिकायत करते हुए कहा था, की ऐसे अवैध धंधों की वजह से परिमंडल-4 मे क्राइम का ग्राफ बढ़ा हुआ है। विधायक आयलानी के शिकायत पत्र का संज्ञान लेते हुए देवेंद्र फड़वनीश ने अपनी टिप्पणी कर कार्यवाही के लिए पत्र गृहमंत्रालय भेज दिया था। और कार्यवाही हुई और कुछ दिनों तक यह लूटपाट का गोरखधंधा बंद रहा, अब फिर से उल्हासनगर में पैर पसार रहा है।
पुलिस सूत्रों द्वारा कहा जा रहा है कि इस बार आन लाइन लॉटरी के धंधे को कोर्ट की परमीशन प्राप्त है। इसलिए अब पुलिस इस अवैध धंधे पर कार्यवाही नहीं कर सकती है। जबकि उल्हासनगर के ही सेंट्रल पुलिस स्टेशन ने अपने क्षेत्र में झटपट लाटरी चलाने को परमीशन नहीं दिया है। अब कौन बतायेगा कि इन लॉटरी की दुकानों को इतने बड़े पैमाने चलाने का परमीशन कोर्ट ने किस आधार पर दिया है? देशवासियों को इस लाटरी से क्या लाभ है? हो सकता है कोर्ट और पुलिस अधिकारियों को इससे कुछ लाभ हुआ हो! या फिर कोर्ट का नाम लेकर यह गोरखधंधा चलाया जा रहा है। इस बात का संज्ञान स्थानीय मुख्य न्यायाधीश को लेना चाहिए। उल्हासनगर के मुख्य न्यायाधीश से मेरा आग्रह है कि अपने कार्यो का दक्षता से निर्वहन करें ताकि न्यायालय के नामपर ऐसे गोरखधंधे न चल सकें। और जनमानस का विश्वास न्यायालय पर तो बना रहे। बाकी पुलिस पर से तो जनता का विश्वास हर दिन घट रहा है। देखना होगा कि खबर लिखे जाने के बाद न्यायालय, पुलिस और सरकार क्या संज्ञान लेते हैं। और ऐसे साफ्टवेयर जो जनता के बर्बादी का कारण बन रहे हैं उन मोबाइल साफ्टवेयरों और कंप्यूटर द्वारा झटपट लाटरी के नाम पर हो रही लूट को कब बंद कराते हैं?
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