ताजा ख़बर

6/recent/ticker-posts

पप्पू कालानी और पच्चीस साथियों पर अपराधिक मामला दर्ज, कुमार के कार्यालय जाना पड़ा भारी!!

     हारे पप्पू कालानी की एक और हार, दर्ज हुई FIR, क्या सजा माफी रहेगी बरकरार?
           मुख्यमंत्री बदला, पुलिस का तरीका बदला, 20 को घटना 26 को हुई FIR,

      पप्पू कालानी अपने साथियों के साथ 

उल्हासनगर : उल्हासनगर 141 विधानसभा में मतदान दिवस के दिन उल्हासनगर के कुख्यात पूर्व विधायक पप्पू कालानी ने कुमार आयलानी के कार्यालय पर पहुंचकर अपशब्द कहे और धमकी भरे लहजे में कार्यालय से बाहर निकलने का आवाहन किया था। उस घटना की शिकायत दर्ज कराने की कोशिश कुमार आयलानी 20 नवंबर 2024 से कर रहे थे, आखिर 26 नवंबर को दर्ज हो गयी।
उल्हासनगर विधानसभा चुनाव का मतदान चल रहा था। चुनाव में उम्रकैद के सजायाफ्ता कुख्यात अपराधी पप्पू कालानी के सुपुत्र ओमी कालानी चुनाव में प्रतिस्पर्धी थे परंतु ऐसा लग रहा था चुनाव ओमी नहीं बल्कि उनके पिता पप्पू कालानी ही लड़ रहे हों। दिन रात प्रचार और मतदाताओं को रिझाने में लगे थे या युं कहें अपनी पूरी ताकत झोंक दिया था। ऐसा लग रहा था उन्निस सौ नब्बे वाला पप्पू कालानी मैदान में है, जबकि ओमी का कोई नाम तक नही ले रहा था। शायद पप्पू ने 1990 समय समझ लिया और अपने को हारता देख कुमार आयलानी के कार्यालय पहुंच गये और उनको धमकाते हुए कार्यालय से बाहर निकलने की ताकीद करने लगे। कुमार से पहले उनकी साली यानी उनके पत्नी की बहन या फिर ऐसा भी कहा जा सकता है महरुम घनश्याम बठिजा की बहन बाहर पप्पू के सामने आ गयी। कुमार बाहर आये और उसको समझा कर अंदर ले गये। पप्पू की हरकतों से वाकिफ भाजपा कार्यकर्ता बड़ी तादात में आयलानी के कार्यालय के बाहर और अंदर मौजूद थे। पप्पू की ललकार पर कार्यकर्ता जोश में आ गये और जय श्री राम का नारा लगाते हुए पप्पू की ओर बढ़ चले और फिल्मी अंदाज में मिर्ची और फाफड़ा खाते हुए आये पप्पू, खाते हुए उल्टे पांव लौट चले। यहाँ आपका यह जानना जरूरी है कि इसी तरह मतदान की संध्या पर पप्पू कालानी तीन नंबर ओटी स्थित घनश्याम बठिजा के कार्यालय पहुंचे थे और उनका कत्ल हो गया था जबकि उनके पास पुलिस सुरक्षा मौजूद थी। 
       वारदात की शिकायत करने कुमार आयलानी उसी दिन स्थानीय पुलिस थाने पहुंचे परंतु मामले को टाल दिया गया और FIR दर्ज नहीं हुई। शहर में चर्चा रही कि मुख्यमंत्री के सुपुत्र सांसद श्रीकांत शिंदे ने ठाणे पुलिस आयुक्त को फोन कर मामला दर्ज करने से रोक दिया है। जैसे ही मुख्यमंत्री ने स्तिफा दिया, कुमार आयलानी की शिकायत पप्पू कालानी के साथ पच्चीस अन्य पर, FIR संख्या 1015, दिनांक 26 नवंबर 2024, न्याय संहिता की धारा 189(2), 190 व 351(2) के तहत दर्ज हो गई है। धारायें गैरजमानती हैं अब पप्पू कालानी को फिर न्यायालय की शरण में जाना होगा। देखते हैं न्यायाधीश महोदय क्या करते हैं? क्योंकि पहले भी एक न्यायाधीश थे जिनको पप्पू कालानी अशक्त, बिस्तर पर पड़ा हुआ जीर्ण सीर्ण नजर आ रहा था। जिस देश में ऐसे न्यायाधीश हों और रिश्वतखोर पुलिस अधिकारी वहाँ आम जनता तो न्याय पाने से रही, गुंडे बदमाश ही मजा करते रहेंगे। अब फिर देखना होगा कि न्याय होता है या अन्याय! 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ