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भ्रष्ट पुलिस उपायुक्त डा. सुधाकर पाठारे का तबादला, सातारा से बदलकर मुंबई किया गया !!

  पनौती IPS सुधाकर पाठारे की विदाई विधायक कुमार आयलानी की उपस्थिति में। 

उल्हासनगर : दि.17/०9/2024 के दिन नराधम डीसीपी डाॅ. सुधाकर पाठारे का तबादला मुंबई कमिश्नरी में कर दिया गया। विदाई समारोह के मुख्य अतिथि रहे विधायक कुमार आयलानी। 
बतादें डा.सुधाकर पाठारे ने जब से परिमंडल-4, उल्हासनगर का पद संभाला था। तबसे इस क्षेत्र के पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला था। कई वरिष्ठ निरीक्षक जो अनर्गल भ्रष्टाचार नहीं करना चाहते थे, उनसे पाठारे से कभी नहीं जमा। वे कहते पाये गये कि हमारा तबादला यहॉं से हो जाय या तो इनका। और बड़ी मुश्किलों के बाद 17 सितंबर अनंत चतुर्दशी, गणपति विसर्जन के अंतिम दिन, बप्पा ने उल्हासनगर की पनौती पाठारे का विसर्जन कराकर उल्हासनगर के लोगों को मुक्ती दिलाया। 
पाठारे के तबादले में भी बड़ा पेंच था जो आखिर सुलझ गया। अब आप कहेंगे पेंच क्या था? पाठारे शिंदे गुट शिवसेना के बहुत ही चहेते थे। उनके इशारे पर इन्होंने कई गैरकानूनी काम किए। यही वजह है कि तबादले का समय पूरा होने के बाद भी महिनों परिमंडल चार उल्हासनगर की अपनी कुर्सी पर जमें रहे। आखिर नियमों की अनदेखी करते हुए जब ठाणे पुलिस आयुक्त थक गये, तब बदनामी और दबाव के चलते पाठारे का तबादला महाराष्ट्र के सातारा जिले के पुलिस अधिक्षक के रुप में कर दिया और चार्ज परिमंडल तीन के पुलिस उपायुक्त को दे दिया। परंतु पाठारे साहब को सातारा जाना गंवारा नहीं था। इसलिए वे सत्ता के दलालों से जाकर मिले और रुपयो की पेशकश करते हुए बताया कि उन्होंने सत्ता के लिए नौकरी को जोखिम में डालकर किए थे कई गैरकानूनी काम, उनकी दुहाई सुन, रुपयों की लालच में दलाल पहुंचे ठाणे पुलिस आयुक्तालय और सत्ता की धौंस दिखाकर तबादला रुकवा दिया। और अपने भ्रष्टाचारी साहब को फिर उल्हासनगर में तैनात करवा दिया। उसके बाद अब उनका तबादला सातारा के बदले मुंबई पुलिस कमिश्नरी में कराया गया। जहॉं के लिए उनकी बिदाई करने पहुंचे उल्हासनगर भाजपा विधायक कुमार आयलानी। साहब के तबादले से पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों में खुशी का माहौल देखा गया। उन्होंने इन खुशी के पलों का जश्न मनाया। जश्न मनाने के लिए विदाई समारोह का बड़ा आयोजन रखा गया था। जिसमें उल्हासनगर जोन 4 के सभी एसीपी, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक, पुलिस कर्मचारियों व पुलिस दलालों ने शिरकत किया। जहां निःशुल्क वीआईपी भोजन मंगाया गया था। जिसका लाभ लगभग 600 -700 पुलिसकर्मियों ने जमकर लिया। मुफ्त के भोजन के कारण कइयों को अपच हो गई और वे बुखार से पीड़ित हो गये। हॉल का किराया, वीआईपी भोजन और साज-सज्जा, सब मिलाकर करीब 12 लाख रुपए खर्च किए गये। जिसका भार जुआ, अवैध डांसबार व ढाबा चालकों के साथ ही अन्य तरह के अवैध धंधेबाजों ने उठाया। अंततोगत्वा पाठारे से परेशान कई वरिष्ठ निरीक्षकों ने राहत की सांस ली क्योंकि साहब हर जांच में अपनी नाक घूसेड़ देते थे।और सब माल चट कर जाते थे, बाकी सब देखते ही रह जाते थे। सरकार पर जनांदोलन के दबाव में कनिष्ठ अधिकारियों व कर्मचारियों को सस्पेंशन का दंश झेलना पड़ता था। जिसका जीता जागता उदाहरण बदलापुर की नन्ही कन्याओं के साथ हुऎ दुराचार मामले में सस्पेंडे हुए तीन पुलिसकर्मी हैं। सब मिलाकर डा. सुधाकर पाठारे के तबादले से उल्हासनगर परिमंडल चार के पुलिसकर्मियों के साथ ही आम जनता ने भी राहत की सांस ली, शायद क्राईम के ग्राफ में अब कुछ कमी आएगी। बाकी निर्भर करता है नवनियुक्त पुलिस उपायुक्त पर। 

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