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गृहमंत्रालय को क्या याद आया कि उपायुक्त सुधाकर पाठारे का तबादला दो घंटे बाद रोक दिया गया?

   ठाणे पुलिस उपायुक्त सुधाकर पाठारे का तबादला होना फिर रोका जाना, राज क्या है? 

ठाणे : ठाणे शहर पुलिस उपायुक्त डा. सुधाकर पाठारे का तबादला हुआ चार्ज सचिन गुंजाल को दिया गया, फिर वापस लेने का माजरा क्या है? महाराष्ट्र राज्य गृहविभाग अधीनस्थ कार्यरत भारतीय पुलिससेवा (आईपीएस) में कार्यरत 17 पुलिस अधीक्षकों के तबादले का निर्णय, चुनाव के मद्देनजर नियमानुसार लिया गया था। स्थानांतरण की सूची में सतारा जिले के पुलिस अधीक्षक समीर शेख व ठाणे शहर उपायुक्त सुधाकर पठारे का नाम भी शामिल था। समीर शेख का तबादला मुंबई पुलिस डिप्टी कमिश्नर के पद पर तो सुधाकर पाठारे को सतारा जिले का पुलिस अधीक्षक बनाया जाना था। सरकार द्वारा तब्दीली का फैसला सुनाए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर दोनों ट्रांसफरों पर रोक लगा दिया गया है। सुधाकर पठारे का तबादला किसने किया, किसने रोका और क्यों? जबकि पाठारे का चार्ज ठाणे शहर जोन-3, पुलिस उपायुक्त सचिन गुंजाल को दे दिया गया था। पाठारे का कार्यकाल कब का पूरा हो गया है। फिर भी उल्हासनगर जोन-4 की अवैध कमाई से मोहभंग नहीं हो रहा है। 



राज्य के 17 आयपीएस अधिकारियों के तबादले का सरकारी फरमान जारी किया गया। परंतु महज दो घंटों में मध्य महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण न्यायालय, आदेशानुसार पुलिस उपायुक्त ठाणे शहर सुधाकर पठारे, और पुलिस अधिक्षक सातारा समीर असलमशेख का तबादला रोक दिया गया। और उनको तुरंत सूचित किया गया कि उन्हें अगले आदेश तक कार्यमुक्त नहीं किया जायेगा। जबकि परिमंडल चार उपायुक्त सुधाकर पाठारे को कार्यमुक्त किया जा चुका था। और उन्होंने अपने शिफ्टिंग की तैयारी भी कर ली थी। 

अगर स्थानांतरण का आदेश गृहमंत्रालय द्वारा दिया गया था तो फिर उन लोगों ने क्या भूल की थी जो महज दो घंटों में याद आ गया। या फिर गृहमंत्रालय के सूचना के बगैर ही लेन देन कर इन दोनों का नाम तबादले की सूची में घूसेड़ दिया गया था और जब गृहमंत्रालय को सूचना मिली तो उन्होंने स्थगन दे दिया। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार सुधाकर पाठारे की कल्याण संसदीय क्षेत्र के सांसद की खूब बनती है। उन्होंने ही अपने सचिव से कहकर पाठारे का नाम उनकी मनपसन्द सूची में डलवाया था। जब यह सूचना गृहमंत्री तक पहुंची तो उन्होंने रोक लगवा दिया। अब पाठारे ने अपनी मनपसंद जगह के लिए जो अदायगी की थी वह वापस मिलेगी या डूब जायेगी, यह चिंता उनको खाये जा रही है। महाराष्ट्र गृहविभाग द्वारा इस तरह सुधाकर पठारे और समीर शेख के तबादले की घोषणा के कुछ ही देर बाद रोका जाना यह स्वस्थ तबादले का लक्षण नहीं है। दोनों तबादलों का महज कुछ ही देर में बदला जाना संदेहास्पद है। वह आदमी कौन है जो गृहमंत्रालय के कार्यो में हस्तक्षेप कर रहा है और गृहमंत्री और मंत्रालय को बदनामी झेलनी पड़ रही है। इसका खुलासा क्या सरकार करेगी या फिर महायुती को बचाने के लिए खून का घूंट पीकर वरिष्ठों के चक्कर में चुप रह जायेगी यह तो समय ही बतायेगा। मेरा जनता से अनुरोध है कि आंखों पर पट्टी, मुख पर उंगली और कान में रुई घूसेड़ कर तबादला होने और रोके जाने का चूहे बिल्ली का खेले देखते रहो, कर भी क्या सकते हैं। इतिश्री.....

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