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मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक शंकर अवताडे ने बिना सबूत के अर्जी के आधार पर आर्म्स ऐक्ट के तहत झूंठा मामला दर्ज किया।

शंकर अवताडे का अनोखा कारनामा गुंडे को फरियादी और पत्रकार को बनाया गुंडा !!

उल्हासनगर : ठाणे पुलिस आयुक्तालय जोन चार के सेंट्रल पुलिसस्टेशन ने बड़ी ही बहादुरी का काम किया है। उल्हासनगर के मशहूर गुंडे को बनाया फरियादी और पुलिस व गुंडों की कारगुजारियों को उजागर करने वाले पत्रकार ब्लागर और यु टियुबर को बनाया गुंडा जिसने एक ऐसे गिरोहबाज का कालर पकड़ लिया जो चालीस पचास गुनाहगार लड़कों को लेकर किसी का भी घर, मकान, प्लाट व फ्लैट खाली कराने का व्यापार ही करता है। इस अवैध व्यापार के चलते उसपर कई गुनाह भी दर्ज हुए हैं। और 110 के चाप्टर का नोटिस भी निकला था, जो स्थानीय नेताओं के चलते दब गया। 

      दुकान मकान फ्लैट प्लाट खाली करवाने का सुपारी बाज विनोद खथुरिया (पंजाबी) 

ठाणे जिले के ख्यातिप्राप्त पत्रकारों में गिने जाने वाले कमलेश विद्रोही, पुलिसिया भ्रष्टाचारों को उजागर करते रहते हैं।अभी हाल ही में उपायुक्त डा.सुधाकर पाठारे के कार्यक्षेत्र,अंबरनाथ छत्रपति शिवाजीनगर पुलिसस्टेशन के वरिष्ठ. निरीक्षक अशोक भगत के कार्यकाल में उनके मातहत कार्यरत संभाजी काले ने नब्बे ग्राम एमडी ड्रग पकड़ा और बिना मामला दर्ज किये ही छोड़ दिया, वह विडियो भी प्रसारित हुआ। इसी तरह धुले पुलिस की उगाही से त्रस्त कुछ लोगों ने मामला दर्ज करने के लिए कहा तो धुले पुलिस को समझाने की एवज में रुपये दो लाख मांगे। अवैध धंधों से वसूली व माहौल बनाकर मांडवली करने के लिए रखे गए चार वसूलीबाजों का मामला। ऐसे अनेकों कारनामें उजागर किये जाने से जोन चार के पुलिस उपायुक्त त्रस्त थे। यह कारण बना गुंडे विनोद खथुरिया को मोहरा बनाकर अर्जी दाखिल कराये जाने का और बिना जवाब व जांच-पड़ताल के रिवाल्वर दिखाये जाने का और उगाही के झूंठा एफआईआर दर्ज करने का। यहाँ समझने वाली बात यह है कि कमलेश दुबे विद्रोही मुंबई में या यूं कहें कि उल्हासनगर में ही पैदा हुए पले बढ़े बचपन देखा, जवान हुए और अब वरिष्ठता की ओर बढ़ रहे 57 वर्ष की उम्र के बाद रिवाल्वर दिखाकर वसूली करने लगे जबकि,उनके चार बच्चों में दो वकील एक फैसन डिजाइनर तथा एक लड़की एकाउंटेंट का काम करने के साथ सीए की पढ़ाई कर रही है। अब तक उनपर किसी पुलिस स्टेशन में एक साधारण एनसी भी दर्ज नहीं थी। 

   डा.सुधाकर पाठारे 
                 शंकर वी अवताडे 

मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन के वरि निरीक्षक शंकर वी.अवताडे को डांसबारों, मटके अड्डों के अलावा अन्य अवैध धंधों से मिलने वाला हफ्ता कम पड़ रहा था, कि उन्होंने फर्जी एफआईआर दर्ज कर एक चरित्रवान व्यक्ति के चरित्र का हनन कर कमाई कर लिया। कोई आम आदमी अगर अर्जी देने जाता है तो पहले अर्ज लेते ही नहीं या फिर जवाब लेकर उस अर्ज को दफ्तरी फाईल कर देते हैं। वहीं अगर रुपये मिल जांय तो ग्यारह महीने पहले समझौते और बातचीत के बाद साथ जाकर वकील के सामने एग्रीमेंट बनाकर बिफोर मी की नोटरी बनाने की घटना को रिवाल्वर दिखाये जाने की घटना बताकर अर्ज बनाई और वह अर्जी स्वीकार कर ली गई, बिना जांच पड़ताल व बयान लिए बगैर ही एफआईआर दर्ज कर लिया गया। 2023 में 57 वर्षिय पत्रकार जो दोनों के या यूँ कहें कि विनोद के विनय के बाद ही वहाँ गवाह बनने आया था, उसने कालर पकड़ा और डेवलपर कलवा ने रिवाल्वर दिखाया, रिवाल्वर दिखाये जाने के लिए रिवाल्वर होनी भी चाहिए। उस समय पुलिस में जाने का ख्याल क्यों नहीं आया और न ही अर्जी बनाने का ख्याल आया सुनील सिंह उर्फ कलवा से दो बार में दो लाख रुपये भी लिये, तब तक सब ठीक था। जमीन का मालिक अनिल गुप्ता खड़ा रहा जबकि उसके जमीन का मामला था। कहानी बनाने वाले को कहानी बनाने भी नहीं आई। अब हम आपको साक्षात दिखायेंगे कि विनोद खथुरिया कितने गुंडों को साथ लेकर जबरन जमीन कब्जा करने जाता है। मिरा भायंदर से लाये गये भाड़े के गुंडों के साथ। अनिल गुप्ता डरकर भाग गया तो उसकी पत्नी के सामने ही फोनपर गाली गलौज करते हुए। हमारे पास अनिल गुप्ता के पत्नी की रिकार्डिंग भी मौजूद है जिसमें वह विनोद की भूतपूर्व पत्नी से क्या कह रही है। विनोद पहले पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक से संपर्क करता है फिर उसको बताता है किसपर झूंठी एफआईआर की धमकी देने या मामला दर्ज करने पर कितने रुपये तक मिल सकते हैं। जब निरीक्षक तैयार हो जाता है तब खेल शुरु होता है अर्जी दाखिल करने का और फिर मिले रुपयों को 30 और 70 प्रतिशत में बांटने का। 30 विनोद के खाते में और 70 पुलिस के। महाराष्ट्र के छटे हुए गुंडों को विनोद अपने घर में पनाह देता है। नवीन केसवानी भी विनोद की सय पर ही इतना बड़ा गुंडा बना। लोग यह भी कहते हैं, विनोद मध्यप्रदेश से कट्टा/ देशी पिस्टल मंगाकर बेचता है, खुद कों मध्य-प्रदेश का मूल निवासी बताता भी है। डीसीपी डा.सुधाकर पाठारे व शंकर अवताडे ने भवन निर्माता कलवा और अनिल गुप्ता से रुपये ऐंठने व पत्रकार को डराकर निपटाने के लिए FIR दर्ज करने का महान कार्य किया है, यह जग विदित है। अब देखते हैं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री गृहमंत्री व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह सुधाकर पाठारे को डीसीपी से सिपाही बनाते हैं या फिर चल रहे भ्रष्टाचार और निर्दोषों की प्रताड़ना पर यथावत रहते हैं।

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