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उल्हासनगर महापालिका में चल रहा है गोंधल कारोबार,नगरविकास मंत्री,मंत्रालय मौन !!

प्रभारी उपायुक्त नाईकवड़े को पता नहीं कितनी मालमत्ता उमनपा के पास है!!
      अशोक नाईकवड़े कार खरीदते हुए 

उल्हासनगर : उल्हासनगर महानगरपालिका में प्रतिनियुक्ति (Deputation) पर आये अधिकारी शहर लूटने के लिए आते हैं या सेवा देने के लिए? मालमत्ता विभाग का कार्य देख रहे उपायुक्त नाईकवड़े को पता नहीं है कि उपविभागीय अधिकारी ने कितने भूखण्ड मनपा को हस्तांतरित कर सनदें दी हैं या बताना नहीं चाहते? ताकि आरक्षित भूखण्डों को बेचने या फिर टीडीआर देने में कोई परेशानी न हो। उल्हासनगर एसडीओ कार्यालय द्वारा फर्जी कागजातों के आधार पर दी गई सनदों पर उमनपा प्लान ही नहीं पास कर रही है बल्कि टीडीआर भी बेंच रही है। अवैध निर्माण व टीडीआर घोटाला जोरों पर है। 
     नगरविकास मंत्री व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे 

उल्हासनगर जिला भाजपा पूर्व महामंत्री चंद्रकांत मिश्र ने जनसूचना अधिकार के तहत उल्हासनगर महानगरपालिका से जानकारी मांगी थी कि प्रांत कार्यालय ने कितने भूखण्ड मनपा को हस्तांतरित किये हैं, जिनको उमनपा ने अधिग्रहित किया है, अब उन भूखण्डों के कागजातों व भूखण्ड की यथास्थिति क्या है? परंतु मनपा मालमत्ता विभाग जानकारी देने में आनाकानी कर कह रहा है, जानकारी उपविभागीय कार्यालय से मांगे! क्या SDO कार्यालय ने भूखण्ड हस्तांतरित करते समय कागजात नहीं सौंपे? आखिर मनपा कागज दिखाने से कतरा क्यों रही है। जब यही सवाल उपायुक्त अशोक नाईकवड़े से किया गया जिनके अधिनस्थ मालमत्ता विभाग का कामकाज है तो लगा कि किसीने उनकी किडनी उनसे मांग ली हो, वह विफर पड़े और यह भी ख्याल नहीं किया कि उनके सामने बैठा हुआ व्यक्ति छिहत्तर वर्षीय वरिष्ठ नागरिक है। इस तरह चल रहा है उल्हासनगर महानगर पालिका का कारोबार जिसका कोई वाली नहीं है सिर्फ लूट ही लूट मची हुई है।
शहर की रचना बिगाड़ रहे आयुक्त अजीजशेख और शहर रचनाकार प्रकाश मुले 

मिली जानकारी अनुसार उल्हासनगर महानगरपालिका में जनसुविधा हेतु 193 भूखण्ड आरक्षित थे जिनमें अब 175 बचे हैं। जिसका जीता-जागता उदाहरण कैम्प क्रमांक-5 का दशहरा मैदान है जो सन 1968 से रावण दहन, रामलीला, उद्यान व खेलकूद संकुल के साथ ही यहाँ एक पानी की टंकी बनी हुई है जिससे उमनपा आसपास के लोगों को पानी पहुंचाती है। उस दशहरा मैदान की सनद किसी कटारिया नामक व्यक्ति को फर्जी दस्तावेज के आधार पर दे दिया गया। इसी तरह उल्हासनगर कैम्प क्रमांक-3, मध्यवर्ती अस्पताल के सामने पोस्ट व टेलिग्राफ के लिए आरक्षित भूखण्ड पर इमारत बनकर खड़ी हो गई है।उल्हासनगर-1, शहाड स्टेशन के पास राणा ट्रेडिंग कंपनी के पास शहर विकास में बाधित लोगों के रहवास के लिए आरक्षित भूखण्ड पर बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण जोरों पर है। जब उपविभागीय अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हीं लोगों को सनद दी जा रही जिन लोगों ने 1965 से पहले किसी जमीन पर रहने के लिए मकान या दुकान बनाया हुआ है और वह भी सौ दो सौ वर्ग मीटर के भूखण्ड पर ही, तब दशहरा मैदान के एक हजार वर्ग मीटर से ज्यादा के भूखण्ड पर सनद कैसे दी गई जवाब कौन देगा? इस तरह उपविभागीय कार्यालय और उल्हासनगर महानगरपालिका मिलकर आम जनमानस की सुविधाओं के लिए आरक्षित भूखण्डों को बेंचकर टीडीआर घोटाला तो कर ही रही है, साथ ही जनहितों की भी अनदेखी कर रही है। वहीं शहर के विधायक व सभी पार्टियां इस ओर से आंखे मूंदे हुई हैं और इसी धोखे को जनहित व विकास कहा जा रहा है। इस तरह से चल रहा उल्हासनगर महानगरपालिका का कारोबार! 

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