अपटा निज संवाददाता
उल्हासनगर : उल्हासनगर मनपा में नगरसेवक पद पर रहते हुए ज्योती रमेश चैनानी ने नियम कानून को दरकिनार कर अवैध बंगले का निर्माण किया, जिस पर तोड़क कार्यवाही करने हेतु गणेश शिंपी ने नोटिस निकाला परंतु कार्यवाही न कर ले देकर मामला रफा-दफा कर दिया। इसको लेकर राजेश नागदेव मुंबई के आजाद मैदान पर धरना दे रहे हैं। कनिष्ठ लिपिक के पद पर भर्ती हुए गणेश शिंपी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। जबकि लिपिक रहते हुए शिंपी 25 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जा चुके हैं। उस मुकदमें का अभी निस्तारण भी नहीं हुआ है। यही नहीं जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत बताया गया है कि उल्हासनगर महापालिका में नोडल अधिकारी जैसा कोई पद नहीं है। तब भी रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़े गए कनिष्ठ लिपिक (Clerk) को नोडल अधिकारी जैसे जवाबदारी वाले पद पर पदोन्नति दी गई। शिंपी को अब वातानुकूलित कमरा (Cabin) स्वियसहायक व चपरासी मिला हुआ है।
राजेश नागदेव
उल्हासनगर मनपा में स्टेनो (क्लर्क) के पद पर पदस्थ होते ही गणेश शिंपी ने तत्कालीन आयुक्त के नामपर 25 हजार रुपये की रिश्वत ली और रुपये लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। उस रिश्वत कांड का मुकदमा आज भी भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा १९८८, कलम ६, (१३)(१)(ड)(२) के तहत कल्याण के सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। जिसकी पंजीकरण संख्या २, १५/२०१३ है। फिर भी न जाने किस खूबी के आधार पर नोडल अधिकारी का नया पद गढ़कर शिंपी को पदोन्नति देकर कैम्प 1 से 5 तक की जिम्मेवारी दी गई है। शिंपी ने 25 हजार से ज्यादा टियर गाटर और आरसीसी के छोटे बड़े अवैध निर्माण करवाकर। उल्हासनगर शहर को अवैध शहर बना दिया। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कई अवैध निर्माण में शिंपी की हिस्सेदारी भी होती है। अवैध निर्माणों और भूमी हड़पने के व्यापार में शिंपी ने अरबों रुपये कमाए। उसी दौरान शिंपी ने अपनी मातहत महिला कर्मचारी से छेड़छाड़ हाथापाई के अलावा हत्या का प्रयास किया। वह मामला उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में निम्न धाराओं के तहत दर्ज है। रजि.नं.१, १४८/२०११ भा.द.सं की धारा ३०६/३४ और गु.रजि.नं.१,१७७/२०११ के साथ भा.द.सं. की धारा ३५४,५०९,५०४,५०६/३४, व अ.आ.ज. अधिनियम १९८९ की धारा ३ (१)(१०) (११) (१२) २ (७) जातिवाचक शब्दों का प्रयोग कर प्रताड़ित करने व गाली देने जैसी धाराओं के तहत मामला दर्ज है। भ्रष्ट गणेश शिंपी
उल्हासनगर मनपा में स्टेनो (क्लर्क) के पद पर पदस्थ होते ही गणेश शिंपी ने तत्कालीन आयुक्त के नामपर 25 हजार रुपये की रिश्वत ली और रुपये लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। उस रिश्वत कांड का मुकदमा आज भी भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा १९८८, कलम ६, (१३)(१)(ड)(२) के तहत कल्याण के सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। जिसकी पंजीकरण संख्या २, १५/२०१३ है। फिर भी न जाने किस खूबी के आधार पर नोडल अधिकारी का नया पद गढ़कर शिंपी को पदोन्नति देकर कैम्प 1 से 5 तक की जिम्मेवारी दी गई है। शिंपी ने 25 हजार से ज्यादा टियर गाटर और आरसीसी के छोटे बड़े अवैध निर्माण करवाकर। उल्हासनगर शहर को अवैध शहर बना दिया। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कई अवैध निर्माण में शिंपी की हिस्सेदारी भी होती है। अवैध निर्माणों और भूमी हड़पने के व्यापार में शिंपी ने अरबों रुपये कमाए। उसी दौरान शिंपी ने अपनी मातहत महिला कर्मचारी से छेड़छाड़ हाथापाई के अलावा हत्या का प्रयास किया। वह मामला उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में निम्न धाराओं के तहत दर्ज है। रजि.नं.१, १४८/२०११ भा.द.सं की धारा ३०६/३४ और गु.रजि.नं.१,१७७/२०११ के साथ भा.द.सं. की धारा ३५४,५०९,५०४,५०६/३४, व अ.आ.ज. अधिनियम १९८९ की धारा ३ (१)(१०) (११) (१२) २ (७) जातिवाचक शब्दों का प्रयोग कर प्रताड़ित करने व गाली देने जैसी धाराओं के तहत मामला दर्ज है। भ्रष्ट गणेश शिंपी
गणेश शिंपी की कारगुजारियों से नाराज राजेश नागदेव ने आजाद मैदान का रुख़ किया और वहाँ जाकर धरने पर बैठ गये। देखना है कि गणेश शिंपी पर कार्यवाही होती है या नहीं। शिंपी की बर्खास्तगी के लिए कई बार महाराष्ट्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय से पत्राचार किया गया। दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर धरना दिया गया। देश के राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा गया जहाँ से एक प्रमाणपत्र व एक पत्र आया जिसमें लिखा था। कार्यवाही के लिए पत्र महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव को भेजा गया है। परंतु महाराष्ट्र सरकार के सचिव ने प्रधानमंत्री की भी नहीं सुनी और भ्रष्ट गणेश शिंपी को नोडल अधिकारी बना दिया। इससे आप समझ सकते हैं कि महाराष्ट्र सरकार भ्रष्टाचार के प्रति कितनी संवेदनशील है। आजाद मैदान में राजेश नागदेव के बेमुदत धरने का आज चौथा दिन है।
कहा जाता है कि भ्रष्टाचार का बेताज बादशाह गणेश शिंपी पर अनेकों मुकदमों और आरोपों के बावजूद पद से न हटाए जाने का एकमात्र कारण मुख्यमंत्री एकनाथशिंदे का आशिर्वाद होना बताया जाता है। अब देखना है कि नागदेव कितने दिनों तक आजाद मैदान में बैठे रहते हैं? कार्यवाही होती भी है या नहीं।
कहा जाता है कि भ्रष्टाचार का बेताज बादशाह गणेश शिंपी पर अनेकों मुकदमों और आरोपों के बावजूद पद से न हटाए जाने का एकमात्र कारण मुख्यमंत्री एकनाथशिंदे का आशिर्वाद होना बताया जाता है। अब देखना है कि नागदेव कितने दिनों तक आजाद मैदान में बैठे रहते हैं? कार्यवाही होती भी है या नहीं।
0 टिप्पणियाँ