ताजा ख़बर

6/recent/ticker-posts

उल्हासनगर मनपा क्षेत्र में अवैध टियरगाटर व अवैध आरसीसी इमारतों का निर्माण जोरों पर !!

ऐसा उल्हासनगर में होता है "Approved Plan" लगाकर अवैध निर्माण किया जाता है !! 

अपटा संवाददाता 
उल्हासनगर : उल्हासनगर कैम्प क्रमांक-2 सिरु चौक के पास ठाकुर फोटो स्टुडियो के ठीक सामने वाली गली में बैरेक नं. 336 और 334 के बगल तबेले (मवेशी पालने की जगह पर) बिना सनद के ही, प्लान पास यानी "Approved Plan" का सूचना फलक लगाकर, बिना वैद्य प्लान के ही समस्त नियमों का उल्लंघन कर किया जा रहा अवैध बहुमंजिला इमारत का निर्माण।
उल्हासनगर महानगरपालिका अवैध व गैरकानूनी निर्माणों को बढ़ावा देने के लिए बदनाम ही नहीं मशहूर भी है। यहाँ के ज्यादातर अधिकारियों कर्मचारियों और नेताओं के लिए अवैध निर्माण रुपये कमाने का मुख्य श्रोत बन चुका है। अवैध निर्माण रोकने की मंशा न ही उल्हासनगर मनपा की है और न ही महाराष्ट्र सरकार की है। यह लोग जनता को ही नहीं ठगते बल्कि मनपा की तिजोरी को भी चूना लगाते हैं। सरकार अवैध निर्माण रोकने में सख्ती दिखाने की बजाय बार बार निर्माणों को वैधता प्रदान कर जनता की सहानुभूति इक्ट्ठा करने में तत्पर दिख रही है। शहर विकास के लिए आरक्षित भूखण्डों को कब्जा कर झूंठे कागजात बनाकर प्लान पास करवाया जाना आम बात हो गई है। अवैध कागजातों द्वारा प्रस्तुत किए गए निर्माणों को भी प्लान के अनुरूप नहीं बनाया जाता है। उसमें भी वायलेसन किया जाता है। रिस्कबेस प्लान के नाम पर 5 से 8 मंजिलों की इमारतों का निर्माण करना शहर के लिए आम बात हो गयी है। जबकि रिस्कबेस अपने रहने के लिए ही बनाया जाना चाहिए न कि बेचने के लिए, या यूं कहें कि अपार्टमेंट नहीं बनाया जाना चाहिए। 
इसी तरह का एक मामला उल्हासनगर दो सिरु चौक के पास ठाकुर फोटो स्टुडियो के सामने की गली में बैरेक नंबर 336 के बगल से सामने आया है। जहाँ तबेले की जमीन पर "Plan Approved" का झूंठा फलक लगाकर बहुमंजिला इमारत का निर्माण मनोज पंजवानी नामक भवन निर्माता कर रहा है किसने कब प्लान पास किया व निर्माण की अनुमति दी? सीटीएस नंबर क्या है? सीट नंबर क्या है? इमारत की मंजिलें कितनी हैं? जावक क्रमांक कितना है? जैसी सूचना, सूचना फलक पर दिखाई नहीं देती है। जिससे साफ पता चलता है कि प्लान पास नहीं करवाया गया है। खरीददारों को व जनता को गुमराह करने के लिए "Plan Approved" का सूचना फलक लगाया गया है। कोई अगर इस अवैध निर्माण के मामले को न्यायालय लेकर पहुंच जाता है और इमारत तोड़ने जाने की नौबत आ जाती है। तब क्या होगा? तब तक तो भवन निर्माता और अधिकारी कमाकर निकल जायेंगे और फंस जायेंगे खरिदार। खरीदारों को बचाने के लिए उमनपा कोई कदम नहीं उठाती यह बड़े ही आश्चर्य की बात है। उल्हासनगर मनपा के अधिकारी बड़े ही बेशर्म किस्म के लोग हैं? इनकी चमड़ी गैंडे से भी मोटी है? कितने ही समाचार लिखे जाने के बाद भी इन पर कोई असर नहीं पड़ता? उमनपा आयुक्त, उपायुक्त ने तो अपना ईमान जैसे गिरवी रख दिया हो। किसी भी तरह से रुपया कमाने का जेहाद चला रहे हों। 
समाजसेवी लखी माखीजा ने 13 दिसंबर 2022 को उल्हासनगर पुलिस स्टेशन व स्थानीय महानगर पालिका को पत्र देकर इमारत के प्लान व जमीन की पूरी हकीकत मांगी है। जांच के बाद इमारत के अवैध, गैरकानूनी होने पर निर्माता पर एमआरटीपी दाखिल कर इमारत को ध्वस्त करने की मांग की है। इस प्रकार दिग्भ्रमित कर अवैध निर्माण करनेवाले निर्माणकर्ताओं पर एमआरटीपी अधिनियम ही नहीं चार सौ बीसी और धोखाधड़ी के साथ-साथ आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत गुनाह दर्ज कर मुकदमा चलाकर जेल भेजा जाना चाहिए। अब देखना यह होगा कि इस समाचार के बाद उमनपा आयुक्त और शहर के कथित नेताओं पर कोई असर होता है या शहर को यूंही लुटता देखते रहते हैं? 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ