अंबरनाथ में भवन निर्माता और म्हाडा अधिकारियों के विरोध में लोगों का साखळी उपोषण।
अपटा निज संवाददाता
अंबरनाथ : अंबरनाथ पश्चिम स्थित म्हाडा (MHADA) द्वारा निर्मित पुरानी इमारत (Building) का पुनर्निर्माण (Reconstruction) करने वाले बिल्डर (Builder) द्वारा दस वर्ष बीत जाने के बाद भी घर न मिलने से नाराज रहवासियों यानी पुराने घर मालिकों (Home Owners) में नाराजगी का माहौल बुधवार 7 फरवरी 2023 से लाभार्थियों ने प्रोजेक्ट के सामने शुरू की क्रमिक भूख हड़ताल (Hunger Strike) भवन निर्माता ने साढ़े तीन वर्ष का नहीं चुकाया किराया।
अंबरनाथ पश्चिम शहर के मध्य भाग, शामराव पाटील नगर में म्हाडा द्वारा सन 1972 निर्मित इमारतों में 192 परिवार रहा करते थे। इमारत के पुरानी हो जाने पर सन 2013 में इमारत के रहवासियों से पुनर्निर्माण के लिए थाने रहवासी भवन निर्माता क्रिस्टल बालाजी (जेरी डेवीड) ने मांग की। कुछ लोगों ने तो सहर्ष दे दिया परंतु कुछ लोग देने को तैयार न थे। ऐसे में कुछ लोगों से शिवसेना स्टाइल में मकानों को खाली कराया गया। यही नहीं वर्ष 2015 में पालक मंत्री रहते हुए अब के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी कहा था। इमारत जर्जर हो गयी है आप सभी लोग अपना फ्लैट उपरोक्त भवन निर्माता को दे देजीए। निर्माता से शर्ते पूरी करवाकर सदनिका की चाभी दिलवाना मेरी जवाबदारी है। इस तरह प्रथम चरण में 6 इमारतों को ढहाकर विकासक ने नया निर्माणकार्य शुरू किया था, 2018 में सभी को पजेशन देने का आश्वासन दिया था। लेकिन इतना लंबा अर्सा बीत जाने के बावजूद इमारत का कार्य पूरा नहीं हुआ है।
40 महिनों से नहीं मिल रहा किराया
पुरानी बिल्डिंग खाली कराकर शहर के विभिन्न जगहों पर रह रहे इन लोगों को शुरू में कुछ महिने किराया सही समय पर दिया गया। लेकिन विगत 40 महिनों से संबंधित बिल्डर 192 लाभार्थियों में से कुछ लोगों को जो पुराने घर मालिक हैं उन्हें लगभग 40 महीने का किराया नहीं मिला है। बिल्डिंग का तत्काल काम पूरा कर सभी 192 लाभार्थियों को उनका अधिकार (Possession) मिले और बकाया किराया भी विकासक अदा करें। यह मांग लेकर लाभार्थियों ने बुधवार की सुबह से अनशन शुरू किया है। उनका कहना है जब तक कोई हल नहीं निकलता तब तक क्रमिक अनशन शुरू रहेगा। अनशन में कई बुजुर्ग महिला पुरुषों के साथ ही बच्चे भी बैठे हैं। अब देखना होगा कि अपने आपको जनता का मुख्यमंत्री बताने वाले एकनाथ शिंदे अपने चहेते बिल्डरों की सुनते हैं? या फिर छह दिन से भूखे प्यासे लोगों की।
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