महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
उल्हासनगर : ठाणे जिले की उल्हासनगर महानगरपालिका में अवैध निर्माण रोकने को लेकर कोर्ट, सांसद, विधायक सभी संजीदा होने का नाटक करते हैं। परंतु अवैध निर्माण पर रोक लगाने, कार्यवाही करने के लिए कोई सख्त नजर नहीं आता यही कारण है कि उल्हासनगर में अवैध निर्माणों का प्रमाण हर दिन बढ़ता दिखाई देता है। एमआरटीपी के तहत मामला दर्ज कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझकर अवैध निर्माणकर्ताओं को आराम से दुकान मकान बनाने और बेचने में मदद कर अपना हिस्सा लेकर शिंपी जैसे लोग मौज करते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए संपत्ति जमा करते हैं और खरीदार सारी उम्र व्यथित रहता है।
प्रभाग क्र. १, अधिकारी
उल्हासनगर: उल्हासनगर महानगरपालिका प्रभाग-१, प्रभाग अधिकारी गणेश शिंपी के कार्यक्षेत्र में कैलाश सुरेश थारवानी नामक अवैध निर्माणकर्ताओं ने दुकान क्रमांक ११/१, सोनेसर आफिस के पास, अमन टाकीज के सामने उल्हासनगर ४२१००१, में बिना किसी माकूल कागजातों के सरकारी जमीन कब्जा कर अवैध निर्माण कर बहुमंजिला इमारत बना रहे हैं। जिसकी कई बार शिकायत हुई और मामला न्यायालय तक पहुंचा बड़े दबाव के चलते प्रभाग-१, अधिकारी गणेश शिंपी ने दिखावे के लिए महापालिका अधिनियम की कलम 260, महाराष्ट्र प्रादेशिक नगररचना अधिनियम 1966, की धारा 52,53,54, अनुसार जा.क्र.उमपा/प्र.स ,1/21, दि. 02/02/2022 को नोटिस दिया था। परंतु विकासक ने निर्माण वैध होने का कोई पुरावा प्रदर्शित नहीं किया। इस कारण महाराष्ट्र महापालिका अधिनियम की कलम 497 (अ) अनुसार जा. क्र. उमपा/अबानिवि/59/2022, दि. 17/05/2022 अनुसार निर्माण को अनाधिकृत घोषित कर दिया है। विकासक से कहा गया है स्वतःअपना बांधकाम निष्कासित कर ले, परंतु यह निर्माणकार्य पूरा होने की कगार पर है। अब लोग पूछ रहे हैं कि अगर निर्माणकर्ता ने बांधकाम निष्कासित नहीं किया तो वह बांधकाम बेचने के लिए छोड़ दिया जायेगा या फिर मनपा कोई कार्यवाही करेगी कथित तौर पर शिंपी की अवैध बांधकाम में हिस्सेदारी है।
ज्ञात हो गणेश शिंपी वह भ्रष्ट अधिकारी है जो तत्कालीन उल्हासनगर महापालिका आयुक्त के लिपिक पद पर रहते हुए पच्चीस हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार विरोधी पथक द्वारा रंगे हाथों पकड़े जा चुके हैं। शिंपी पर भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा १९८८ की कलम ६, (१३)(१)(ड)(२) के तहत मुकदमा पंजिकृत संख्या २, दिनांक १५/२०१३ सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। इसके अलावा शिंपी पर महिला कर्मचारी से छेड़छाड़ जैसे गंभीर आरोप और उस महिला के भाई को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला भी उल्हासनगर मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में अपराध सं. १, १४८/२०११ भादसं की धारा ३०६/३४ के तहत दर्ज है। इसके अलावा अपराध रजि.क्र.१, १७७/२०११ में भादसं की धारा ३५४, ५०९ ५०४,५०६/३४ और इसी तरह अ.जा.ज.अधि. १९८९ की धारा ३ (१)(१०)(११)(१२) २(७) जैसे कई संगीन गुनाह दर्ज होने के बावजूद भी गणेश शिंपी पर कोई कार्यवाही न होना क्या दर्शाता है। आज शिंपी सहायक आयुक्त पद पर बैठा हुआ है और उसपर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है यह हमारी महाराष्ट्र सरकार व शहर के तमाम नेताओं और समाज सेवियों के लिए शर्मनाक ही नहीं चुल्लू भर पानी में डूब मरने के समान है।
सत्ता और भ्रष्टाचार कर जमा किए गये रुपयों के मद में चूर गणेश शिंपी पर अन्य कई मुकदमें न्यायालयों में विचाराधीन है। क्या आने वाले स्वतंत्रता दिवस से पहले जनता शिंपी जैसे भ्रष्टाचारियों के चंगुल से आजाद हो पायेगी या भ्रष्टाचारी आजाद और जनता गुलाम ही रहेगी, सवाल है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पद चिन्हों पर चलने का दम भरने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से।
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