राणा खदान की सरकारी जमीन पर बनाया गोदाम जो टूटने के बाद फिर बन गया फिर भी नहीं जागा TPD तहसीलदार ने फिर से नोटिस चिपकाया।
उल्हासनगर : उल्हासनगर शहर में जगह-जगह सरकारी जमीनों पर कब्जा होना आम बात हो गई है। फर्जी कागजातों के आधार पर धड़ल्ले से सनद बन रही है। मनपा प्रभाग अधिकारियों से सांठ गांठ कर अवैध निर्माण कर कब्जा किया जा रहा है, परंतु उमनपा अधिकारी, टाऊन प्लानर वसूली में व्यस्त हैं और प्रशासनिक अधिकारी डॉ.राजा दयानिधि भी इस विषय में गंभीर नहीं दिखाई देते।
उल्हासनगर-२, राणा खदान के पास दुर्गानगर में 15 ×75 के तीन अवैध गालों का निर्माण किया गया है, इन अवैध दुकानों पर उल्हासनगर तहसीलदार के आदेश पर उमनपा प्रभाग समिती-2, के प्रभाग अधिकारी अनिल खतुरानी ने तोड़क कार्यवाही किया था। परंतु वह तीनों गाले फिर से बनकर तैयार हो गये हैं। शिकायत मिलने पर तहसीलदार ने फिर उन दुकानों पर तोड़क कार्रवाई के लिए नोटिस चिपकवाया है। अब देखना यह होगा कि तोड़क कार्रवाई कब होती है, होती भी है या नहीं? बतादें कि जबसे दयानिधी राजा ने उमनपा का कार्यभार संभाला है, तबसे अवैध निर्माणों में जबरदस्त तेजी आई है। उन्होंने कमाई करने के लिए सभी चारों प्रभागों की वसूली का ठेका शिंपी को दे रखा है। शिंपी ने अवैध टियर गाटर निर्माण का दाम भी मुकर्रर कर रखा है, एक टियर गाटर निर्माण के लिए 50 से 75 हजार क्षेत्रफल के अनुसार तो वहीं रिस्कबेस प्लान के नामपर 5/6 मंजिला इमारतों के निर्माण के लिए डेढ़ से दो लाख रुपये रिश्वत लिया जाता है, ऐसा भुक्तभोगियों ने बताया। प्रकाश मुले जो शहर रचनाकार हैं वे और उनके मातहत कर्मचारी शहर की रचना सुधारने की बजाय अवैध बांधकामों को संरक्षण देने के नामपर वसूली में मस्त व व्यस्त हैं।
गणेश शिंपी जो रिश्वत लेते पकड़े जा चुके हैं और भ्रष्ट आचरण वाले हैं। ऐसे शिंपी को सहायक आयुक्त जैसे पद पर बैठाकर आयुक्त/प्रशासकीय अधिकारी दयानिधि राजा ने जैसे अपने नाम के आगे भ्रष्टाचारी होने का तमगा (मेडल) लगा लिया हो। इन भ्रष्ट अधिकारियों के बारे में दर्जनों बार की शिकायतों व समाचार लिखे जाने के पश्चात भी न तो उनके विभाग में तब्दीली हुई और न ही आचरण में और न ही उनकी किसी तरह की जांच हुई! न ही दयानिधी राजा और शहर विकास मंत्री/पालक मंत्री ने ही कोई संज्ञान लेने की जरूरत समझी इससे साफ जाहिर होता है कि उनके आशिर्वाद से ही सारा भ्रष्टाचार हो रहा है। बतादें जबसे महाराष्ट्र में तीन बेमेल दलों की महाविकास आघाड़ी सरकार जोड़ तोड़ कर बनी है तबसे लगभग सभी सरकारी कार्यालयों में सिर्फ वसूली की ही चर्चा होती है। अब देखना होगा कि राणा खदान के पास निर्मित अवैध दुकानों पर तहसीलदार द्वारा नोटिस लगाये जाने के बावजूद कोई कार्यवाही होती है या नहीं।
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