उपायुक्त प्रशांत मोहिते वरि.निरी.मधुकर कड़
उल्हासनगर : ठाणे आयुक्तालय, परिमंडल-4, उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन की हद में अनेकों लाजिंग बोर्डिंग चल रहे हैं, उनमें से कुछ का छिपे कैमरे से चित्रीकरण कर चलचित्र जनता के सामने प्रसारित करते समय परिमंडल चार के डीसीपी प्रशांत मोहिते की तस्वीर दिखाने से पुलिस प्रशासन परेशान, सोसल मिडिया निरीक्षक कोली ने फोन पर ताकीद की, इस तरह का चलचित्र प्रसारित कर अविश्वास न पैदा करें! पुलिस स्टेशन में शिकायत करें आदि आदि।
उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन की हद में लाजिंग बोर्डिंग के नामपर वेश्यावृत्ति का धंधा चलता है ऐसी खबर मिलने के बाद पुलिस प्रशासन को फोन पर शिकायत किया गया एक बार नहीं कई बार परंतु पुलिस कहती रही ऐसा कुछ भी नहीं होता है। तुम साथ चलकर दिखाओ, अगर कोई जाने के लिए तैयार होता है तो पुलिसस्टेशन से फोन पर सूचना दे दिया जाता है कि हम आ रहे हैं और इस तरह अवैध व्यवसायी को सावधान कर दिया जाता है। जगह पर पहुंचने पर वहाँ कुछ न मिलने पर शिकायतकर्ता को ही मूर्ख बनाया जाता है। साथ ही पुलिस का समय नष्ट करने के लिए फटकार लगायी जाती है, क्योंकि इस तरह के अवैध धंधो के बल पर ही पुलिस विभाग के लोगों के पास कई फ्लैट जमीन जायदाद और महंगी गाड़ियों के साथ ही दो या तीन बीवियां होती है। यह बात सभी पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों पर लागू नहीं होती हैं। कुछ तो बहुत ईमानदार होते हैं परंतु ऐसे ईमानदार लोगों को दरकिनार कर दिया जाता है। और ऐसे ईमानदार लोग उंगलियों पर गीने जाने जितने ही विभाग में होते हैं। अब यहाँ मजे की बात यह है कि अग्निपर्व टाइम्स इसके पहले भी तीन चलचित्र (विडियो) प्रसारित कर चुका है। तब किसी का फोन नहीं आया परंतु जैसे ही डीसीपी साहब का फोटो डाला गया प्रशासन दबाव में आ गया।
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने मुंबई के होटलों, बारों, ठेकेदारों के साथ व्यवसायियों से 100 करोड़ वसूली का ठेका भी तो इसी पुलिस को दिया था। जब महाविकास अघाड़ी का गृहमंत्री अवैध वसूली के मामले में जेल काट रहा हो तब क्यों एक आईपीएस पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? क्या इसके पहले के विडियो की सूचना नहीं मिली होगी तब संज्ञान क्यों नहीं लिया गया? मैं नहीं मानता की उपायुक्त इस अवैध वसूली से अनभिज्ञ हैं! उपायुक्त कुछ चुनिंदा पत्रकारों के फोन उठाते हैं क्यों? शहर में क्या हो रहा है इस बात की जानकारी के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को आंख, कान खुला रखना चाहिए। हर व्यक्ति का फोन उठाया जाना चाहिए लोकतंत्र है। सरकारी अधिकारी और कर्मचारी जनसेवक है वह राजा नहीं है।
उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन की हद में लाजिंग बोर्डिंग के नामपर वेश्यावृत्ति का धंधा चलता है ऐसी खबर मिलने के बाद पुलिस प्रशासन को फोन पर शिकायत किया गया एक बार नहीं कई बार परंतु पुलिस कहती रही ऐसा कुछ भी नहीं होता है। तुम साथ चलकर दिखाओ, अगर कोई जाने के लिए तैयार होता है तो पुलिसस्टेशन से फोन पर सूचना दे दिया जाता है कि हम आ रहे हैं और इस तरह अवैध व्यवसायी को सावधान कर दिया जाता है। जगह पर पहुंचने पर वहाँ कुछ न मिलने पर शिकायतकर्ता को ही मूर्ख बनाया जाता है। साथ ही पुलिस का समय नष्ट करने के लिए फटकार लगायी जाती है, क्योंकि इस तरह के अवैध धंधो के बल पर ही पुलिस विभाग के लोगों के पास कई फ्लैट जमीन जायदाद और महंगी गाड़ियों के साथ ही दो या तीन बीवियां होती है। यह बात सभी पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों पर लागू नहीं होती हैं। कुछ तो बहुत ईमानदार होते हैं परंतु ऐसे ईमानदार लोगों को दरकिनार कर दिया जाता है। और ऐसे ईमानदार लोग उंगलियों पर गीने जाने जितने ही विभाग में होते हैं। अब यहाँ मजे की बात यह है कि अग्निपर्व टाइम्स इसके पहले भी तीन चलचित्र (विडियो) प्रसारित कर चुका है। तब किसी का फोन नहीं आया परंतु जैसे ही डीसीपी साहब का फोटो डाला गया प्रशासन दबाव में आ गया।
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने मुंबई के होटलों, बारों, ठेकेदारों के साथ व्यवसायियों से 100 करोड़ वसूली का ठेका भी तो इसी पुलिस को दिया था। जब महाविकास अघाड़ी का गृहमंत्री अवैध वसूली के मामले में जेल काट रहा हो तब क्यों एक आईपीएस पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? क्या इसके पहले के विडियो की सूचना नहीं मिली होगी तब संज्ञान क्यों नहीं लिया गया? मैं नहीं मानता की उपायुक्त इस अवैध वसूली से अनभिज्ञ हैं! उपायुक्त कुछ चुनिंदा पत्रकारों के फोन उठाते हैं क्यों? शहर में क्या हो रहा है इस बात की जानकारी के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को आंख, कान खुला रखना चाहिए। हर व्यक्ति का फोन उठाया जाना चाहिए लोकतंत्र है। सरकारी अधिकारी और कर्मचारी जनसेवक है वह राजा नहीं है।
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