उल्हासनगर महानगरपालिका चुनाव अब सर पर है किसी भी दिन कभी भी चुनाव की घोषणा हो सकती है। इसलिए उल्हासनगर की जनता से मेरी अपील है कि आप मुझे बिल्कुल भी मत भुलना और मेरा ही सपोर्ट चुनाव में करना, भले शहर की सड़कें धूल धुसरित हो, सिमेंट की सड़कों पर भी हर 25 मिटर बाद ऎसे गड्ढे हों जिससे तुम्हारे कमर की ऐसी तैसी हो रही हो, फिर भी मैने विकास तो किया है न। आपका न सही, शहर का न सही अपना तो विकास किया है न, पहले मेरे पास साईकिल की भी किल्लत थी अब इनोवा मर्सिडीज है। पहले चाल में रहता था, अब दो तीन फ्लैटों का मालिक हूँ। अभी कुछ कमी रह गयी है विकास में आनेवाले पांच साल में नगरसेवक बनते ही पूरी कर दूंगा। भले ही मैने गटर नाले आरक्षित भूमि हड़पने में मदद की पर विकास तो किया ही है। मुझपर नहीं भरोसा है तो पांडे निकम और तिवारी से पूछ लो वे क्या मुर्ख हैं जो मेरे पीछे पीछे घूमते हैं।
मैं महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलने वाला एकमात्र नेता हूँ। भले ही मैने टियर गाटर के दो मंजिला मकान बनवाये क्या इससे शहर का विकास नहीं हुआ, आखिर खाली पड़ी जमीन किसी को क्या दे रही थी मैने फर्जी कागजात तैयार कर फर्जी प्लान पास कर इमारत का निर्माण किया, क्या यह विकास नहीं है। जनता का ही भला हुआ आज लोग उसमें रह रहे हैं। यह सब क्या मैने अपने लिए किया है यह सब तो उल्हासनगर की जनता के लिए ही तो है। मान लो इन सब अवैध कामों से मैने कुछ धन कमाएं है तो वह सब चुनाव में जनता को ही तो बांटना है मैने अपने लिए क्या किया है? भले ही मैं लाज चलाकर पैसे कमा रहा हूँ, या फिर जुआ चालक हूँ, अवैध निर्माण करता हूँ और पैसे कमा रहा हूँ वह सब रुपये मेरे लिए थोड़ी न हैं वह सब जनता के लिए हैं। अब आप ही बताइए वोट देने में कोई खर्च लगता है? रिक्शा आपके दरवाजे पर आता है, आपको पोलिंग बूथ तक ले जाता है आपको हमारा कार्यकर्ता चाय भी पिलाता है। वड़ा पाव और बिर्याणी का आफर करता है। फिर आप एक छोटी सी बटन दबा देते हैं, उसमें आपकी कोई मेहनत भी नहीं लगती फिर भी हम हजार पांच सौ रुपये भी देते हैं। इस तरह हम जो भी करते हैं वह आपके लिए जनता के लिए ही करते हैं। हमने इतना सारा विकास किया पर कुछ विकास विरोधियों को दिखाई ही नहीं देता है।
बुरा न मानो होली है, बुरा न मानो होली है!!!
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