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फर्जी कागजात बनाकर हड़पी जा रही है, उल्हासनगर 3 में डाक और टेलिग्राफ के लिए आरक्षित भूखण्ड।

पोस्ट और टेलिग्राफ के लिए रिजर्व साईट पर नगर रचनाकार करते हैं प्लान पास, आयुक्त देते हैं मंजूरी?
     डा. राजा दयानिधी 

सेंट्रल हॉस्पिटल के सामने चल रही बहुमंजिला इमारत का निर्माण किस आधार पर चल रहा है इसका जवाब न आयुक्त, न रचनाकार और न ही महापौर के पास !! 

उल्हासनगर: ठाणे जिले उल्हासनगर महानगर पालिका, कैम्प क्रमांक 3 स्थित सेंट्रल हॉस्पिटल के सामने चल रहा बहुमंजिला इमारत बाधंकाम फर्जी (Fake) कागजातों के आधार पर चल रहा है। इस जगह को पहले भी हड़पने की कोशिश की गयी थी परंतु तब शिवसेना सरकार नहीं थी और न ही महापौर, इसलिए तब इमारत का निर्माणकार्य रोका जा सका था।

मिली जानकारी के अनुसार यह जगह शहर रचना नक्शे में पोस्ट व टेलिग्राफ कार्यालय के लिए आरक्षित है। पोस्ट व टेलिग्राफ के लिए आरक्षित भूखण्ड का फर्जी (Forged)  सनद (Conveyance deed) बनाकर हड़पा जा रहा है। नये पास डीपी में यह भूखण्ड पोस्ट व टेलिग्राफ कार्यालय  के लिए आरक्षित है। बतादें भ्रष्ट अधिकारियों कागजातों की मदद से दिवंगत मनु छाबलानी ने इस भूखण्ड की सनद बना ली थी और निर्माण कार्य शुरू किया था परंतु स्थगन आदेश आने के बाद निर्माण कार्य रुक गया था और कई वर्षों तक रुका रहा अब वही कागजात न जाने कैसे श्रीमती रेखा मनोहर कस्तूरी के नाम पर करवा लिया गया और प्लान भी पास करवा लिया गया।  निर्माण कार्य जोरशोर से शुरू है। इस तरह झुठे कागजातों के आधार पर शहर रचनाकार रुपये लेकर कर रहा है प्लान पास। निर्माणाधीन इमारत के बाहर लिखकर टांग दिया गया है (Plan Approved) न उसपर सीटीएस नंबर लिखा है, न ही बैरेक नंबर तो कैसे पता चले की यह प्लान कहाँ के लिए पास है।
प्लान प्रस्तुत करने वाले आर्किटेक्ट का नाम और न ही पास करने वाले का नाम लिखा है। पता शहर रचनाकार को समझ में नहीं आता सीटीएस नंबर लिखते नहीं इस तरह से लोगों को गुमराह करते हैं शहर विकास मंत्री के कथित पुत्र और शहर के टाऊन प्लानर प्रकाश मुले। मिली जानकारी अनुसार यह निर्माणकार्य कोणार्क कंपनी द्वारा किया जा रहा है और इस बांधकाम का ठेका कोणार्क कंपनी ने राजू शेरा को दिया है। इस निर्माणाधीन इमारत में उमनपा अधिकारी की हिस्सेदारी है। यही कारण है कि अनिल खतुरानी ने जब निर्माणाधीन इमारत की जांच करने की कोशिश की तो उन्हें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंप दिया गया। जबकि गणेश शिंपी से बड़ा भ्रष्टाचारी उल्हासनगर महानगरपालिका में हो ही नहीं सकता उसपर कभी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की कार्यवाही नहीं होती। बताया जाता है शिंपी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के किसी अधिकारी को हर महीने रुपये पहुंचाता है। यही कारण है कि उसपर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो मेहरबान है। 

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