उल्हासनगर के सभ्य लोगों का इलाका कहे जाने वाले क्षेत्र, 17 सेक्शन की टेकड़ी में चल रहा है हुक्का पार्लर!
आज इस महामारी के दौर में भी उल्हासनगर के कई इलाकों में चल रहा है, हुक्का पार्लर जबकि डाक्टरों का कहना है इम्यूनिटी अच्छी होने पर करोना महामारी का असर नहीं होता या कम होता है। करोना लोगों के फेफड़ों पर असर डालता है। चरस, गांजा, बीड़ी, सिगरेट और हुक्का जैसी नशीली चीजें धुएँ के रुप में फेफड़ों में जाकर फेफड़ों को कमजोर करती हैं।
उल्हासनगर मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन की हद स्थित कैम्प क्रमांक ३ के १७ सेक्सन की टेकड़ी पर, जहाँ शहर के कथित सभ्य लोग रहते हैं। ऐसे इलाके की एक इमारत में रोनित नामक व्यक्ति चला रहा है हुक्का बार! एक फेरा हुक्का भरने का लेता है ३५० रुपये।
उल्हासनगर मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन की हद स्थित कैम्प क्रमांक ३ के १७ सेक्सन की टेकड़ी पर, जहाँ शहर के कथित सभ्य लोग रहते हैं। ऐसे इलाके की एक इमारत में रोनित नामक व्यक्ति चला रहा है हुक्का बार! एक फेरा हुक्का भरने का लेता है ३५० रुपये।
इसी तरह उल्हासनगर पुलिस स्टेशन की हद के राहुल नगर, टेलीफोन एक्सचेंज के सामने अजय बागुल भी एक हुक्का बार (पार्लर) चल रहा है। आयुर्वेदिक हुक्के के नाम पर तरह तरह के नशे का सेवन कराया जाता है यहाँ, चरस, गांजा और नशीली तंबाकू के बगैर हुक्के का मजा ही नहीं आता ऐसा उपभोक्ता कहते हैं। हुक्का बार में धुंआ ही धुंआ होता है आम आदमी का दो मिनट में दम घुटने लगता है। ऐसी जगहों पर १५/१६ वर्ष के नव युवक युवतियां घंटो बैठे रहते हैं। इससे टीबी, कैंसर जैसी घातकबीमारियों के फैलने का अंदेशा बना रहता है। क्या उल्हासनगर और मध्यवर्ती पुलिस कार्रवाई कर इन दोनों हुक्का पार्लरों को बंद करा पायेगी यह एक सवाल है, दोनों पुलिस स्टेशन के निरीक्षकों से।
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