आयुक्त को कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों का आदेश
उल्हासनगर (विशेष संवाददाता) - क्यों ? महानगर पालिका आयुक्त डॉ राजा दयानिधि जनसंपर्क अधिकारी युवराज भदाणे के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने का साहस क्यों नहीं जुटा पा रहे हैं? जबकि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं। जो पीआरओ के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त हैं।
दिलिप मालवणकर व रामेश्वर गवई
सच तो यह है कि पालिका आयुक्त डॉ. राजा दयानिधि भ्रष्ट नहीं हैं, फिर भी भदाणे जैसे कुख्यात अधिकारी का समर्थन क्यों कर रहे हैं? अन्याय विरोधी संघर्ष समिति के अध्यक्ष और एक वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मालवणकर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि या तो राजनीतिक दबाव कारण हो सकता है या भदाणे को आयुक्त की कोई कमजोर नस मिली होगी, इसलिए वह ब्लैकमेलिंग के डर से कार्रवाई करने में कोताही बरत रहे हैं, और समय लगा रहे हैं। उल्हासनगर नगर निगम में दिसंबर 2003 से जनसम्पर्क अधिकारी पद पर कार्यरत विवादास्पद अधिकारी युवराज भदाणे का स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र फर्जी साबित हुआ है। आरकेटी कॉलेज ने निगम को लिखे पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा है, कि ''हमने यह अवकाश प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है" और उनकी जन्मतिथि हमारे पास जो दर्ज है। वह 1.06.1970 है। उस समय उम्र ज्यादा होने से वह पीआरओ पद के लिए अपात्र हो गया था। इसलिए उसने प्राचार्य और उप-प्राचार्य के नकली हस्ताक्षर कर एक नकली स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र तैयार किया और जन्म तिथि 1.06.1970 से बदलकर 1.06.1972 कर दी। इस तरह, अपात्र होने पर भी, फर्जी स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र जमा कर जनसंपर्क अधिकारी के पद पर नियुक्त हो गया। उपरोक्त गंभीर मामले में तत्काल आपराधिक कार्रवाई की जानी चाहिए थी और तीन महीने पहले ही सेवा समाप्त कर भविष्य के सभी लाभों को रोक दिया जाना चाहिए था। उनकी नियुक्ति फर्जी दस्तावेज के आधार पर हुई थी। इसलिए वह पद के लिए अमान्य है।
हालांकि युवराज भदाणे के बर्खास्तगी का मामला 2007 से मुंबई उच्च न्यायालय में लंबित है। और उनकी बर्खास्तगी पर रोक लगा दी गई है, परंतु यह मामला पूरी तरह से अलग है। यह स्थगन आदेश धोखाधड़ी और जालसाजी जैसे बाद के आपराधिक अपराधों पर होनेवाली कार्रवाई को रोकने के लिए नहीं था। यह स्थगन आदेश बाद में साबित हुए अपराध पर होनेवाली कार्यवाही को रोक नहीं सकता है। चूंकि 19.05.2021 को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का मामला सामने आया था, इसलिए इस मामले में कार्रवाई का कारण पूरी तरह से अलग और ताजा है। वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मालवणकर ने आयुक्त से पूछा कि, यदि किसी अपराधी को पिछले मामले में स्थगन आदेश मिलता है, तो अगले आपराधिक कृत्य में अपराधी के खिलाफ कार्रवाई न करना कैसे उचित है।
जनसंपर्क अधिकारी युवराज भदाणे ने पालिका आयुक्त को कॉमनवेल्थ वोकेशनल यूनिवर्सिटी की फर्जी पीएचडी डिग्री देकर तत्कालीन कमिश्नर राजेंद्र निंबालकर को 25/09/2017 को युवराज भदाणे ने अपने नाम के पहले डॉ. लिखने के आदेश के लिए मजबूर किया। इस विश्वविद्यालय को कोई शोध प्रबंध प्रस्तुत नहीं किया गया है। उच्च शिक्षा के लिए पालिका प्रशासन से कोई अनुमति या छुट्टी नहीं ली गई थी। पुणे के वानवाड़ी पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी अनुसार, विश्वविद्यालय 1,20,000 रुपये में डिग्री बेचता है। इसके बावजूद, भदाणे द्वारा दिए गए कागज के एक टुकड़े को वास्तविक माना गया और बिना किसी गवाही के सत्यापन के आयुक्त राजेंद्र निंबालकर ने भदाणे द्वारा कहे अनुसार, भदाणे के नाम के पहले डॉ. लगाने का गलत आदेश जारी किया। इस तरह के आपराधिक कृत्य के लिए आईपीसी की धारा 171 के तहत आयुक्त डॉ. राजा दयानिधि को जनसंपर्क अधिकारी युवराज भदाणे के खिलाफ धोखाधड़ी व जालसाजी का मामले दाखिल कर कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन आयुक्त कानूनी कार्रवाई करने में देरी कर रहे हैं। मालवणकर ने कहा कि आयुक्त डॉ. राजा दयानिधि की निष्क्रियता व अनुचित देरी के खिलाफ अन्याय विरोधी संघर्ष समिति के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मालवणकर और पत्रकार रामेश्वर गवई आजाद मैदान में दो दिन के अनशन पर चल गये। अगले दिन नगर विकास विभाग ने मामले को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए। इस आंदोलन से सुस्त नगर पालिका प्रशासन और सरकार जाग गई। डॉ. राजा दयानिधि एक आईएएस अधिकारी हैं, जो जनवरी 2021 से कार्रवाई से इन्कार की घंटी बजा रहे हैं। अगस्त क्रांति दिवस पर आजाद मैदान में भूख हड़ताल कर हमने आयुक्त की निष्क्रियता और विलंबता के खिलाफ बिगुल बजाया है। हमने मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया और हमारी मांग मान ली गई और ये आंदोलन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया, यह जानकारी वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मालवणकर ने अन्याय विरोधी संघर्ष समिति की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी।
0 टिप्पणियाँ