ऐसा सिर्फ उल्हासनगर में हो सकता है, जहाँ शहर की इमारतों को आडिट का आदेश दिया जाय और मनपा की इमारत जर्जर रहे!!यह उल्हासनगर महानगर पालिका इमारत छत है।
उल्हासनगर महानगर पालिका इमारत की छत गिरने की कगार पर हो और उसकी मरम्मत करने के बजाय, महापौर, उपमहापौर जैसे जन प्रतिनिधियों के कार्यालय में हर वर्ष, जरुरत न होने पर भी बदलाव कर उसको विलासितापूर्ण बनाने के लिए फिजूलखर्ची किया जाता रहा हो। यह कार्य भी इमानदारी से नहीं किया जाता २० लाख के खर्च को एक करोड़ दिखाया जाता है, उसमें कमीशन खोरी चलती है।
डॉ राजा दयानिधि, महापौर लिलाबाई आसान
डॉ राजा दयानिधि, महापौर लिलाबाई आसान
विडियो व फोटो में साफ दिखाई दे रहा है मनपा की छत के मोटाई का आधा हिस्सा गिर चुका है, जो सिमेंट कांक्रीट सरिये के नीचे था अब सरिया साफ साफ दिखाई दे रहा है। बाहर का हवा पानी लगने से सरिया जंग लगकर सड़ जायेगी, समय रहते सुरक्षा का उपाय न किया गया तो किसी दिन एक अपघात को जन्म देगी। जिस शहर का महानगर पालिका कार्यालय ही जर्जर अवस्था में हो उस शहर का भगवान ही मालिक है। शहर के शहर अभियंता जब अपनी इमारत का रखरखाव नहीं कर सकते उनसे शहर के रखरखाव की उम्मीद बेमानी सी लगती है।
अन्य मौसम में दिखाई देने के कारण लोग सड़कों पर हुए गड्ढों को बचाकर निकल जाते हैं। परन्तु बरसात के मौसम में गड्ढे दिखाई नहीं देते जिसके कारण कई दूचाकी वाहन चालक गिर जाते हैं और बड़े वाहन छतिग्रस्त हो जाते हैं। क्या इस ओर सत्ता में बैठे नेता और कथित जनसेवक ध्यान देंगे ☺️?
अन्य मौसम में दिखाई देने के कारण लोग सड़कों पर हुए गड्ढों को बचाकर निकल जाते हैं। परन्तु बरसात के मौसम में गड्ढे दिखाई नहीं देते जिसके कारण कई दूचाकी वाहन चालक गिर जाते हैं और बड़े वाहन छतिग्रस्त हो जाते हैं। क्या इस ओर सत्ता में बैठे नेता और कथित जनसेवक ध्यान देंगे ☺️?
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