परमबीर सिंह ने सीबीआई को लिखे पत्र में कहा है कि 15 अप्रैल को संजय पांडे द्वारा राज्य के पुलिस महानिदेशक का कार्यभार संभालने के बाद वह 19 अप्रैल को उनसे मिलने गए थे। संजय पांडे ने उन्हें सलाह दी कि सिस्टम से लड़ने से कोई फायदा नहीं, राज्य सरकार आप पर कई अपराधिक मामले दर्ज कराने का मन बना रही है। ताकतवर राजनीतिक लोगों ने अगर मन बना लिया तो आपको परेशानी में डाल सकते हैं। इसलिए पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए अपने सभी आरोप वापस ले लीजिए, तो आपके विरुद्ध चल रही जांच रोक दी जाएगी। पुर्व महाराष्ट्र राज्य गृृहमंत्री अनिल देशमुख
बता दें कि राज्य सरकार ने क्रमशः 1 अप्रैल एवं 20 अप्रैल को परमबीर सिंह पर राज्य सरकार का आरोप है कि उन्होंने आल इंडिया सर्विस कंडक्ट रुल की धारा 1968 का उल्लंघन किया है। इसका मतलब यह हुआ सरकारी कामकाज में गोपनीयता का उल्लंघन। डिपार्टमेंट सरकार में जो खेल चल रहा था। उसे वैसे ही चलने देना चाहिए था। जैसे 100 करोड़ की वसुली का मामला या फिर भ्रष्टाचार का मामला हो। आपने सार्वजनिक क्यों किया? सार्वजनिक किया है तो जांच का सामना करो। इसलिए सिंह के खिलाफ दो मामलों में सीआरसीपी की धारा 32 के तहत जांच के लिए संजय पान्डे को नामित किया गया है। सिंह कमिश्नर की पोस्ट पर हैं इसलिए उनकी जांच डीजीपी रैंक का कोई अधिकारी ही कर सकता है। सीबीआई को दिए पत्र अनुसार सिंह शिष्टाचार भेंट के लिए संजय पांडे के कार्यालय गए थे, तो सीबीआई जांच का मुद्दा पांडे ने ही उठाया था। सिंह ने सीबीआई को लिखे पत्र एवं उच्च न्यायालय में दायर याचिका दोनों में यह आशंका जाहिर की है कि संजय पांडे द्वारा उन्हें दी गई इस सलाह से पता चलता है कि सीबीआई द्वारा की जा रही अनिल देशमुख की जांच पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है।परमबीर ने सीबीआई को लिखे पत्र में न सिर्फ संजय पांडे के कक्ष में हुई बातचीत का हवाला दिया है, बल्कि उनके साथ वाट्सएप्प काल एवं चैट भी सीबीआई से साझा किए हैं। परमबीर ने ये काल संजय पांडे को बताए बिना ही रिकार्ड कर लिए थे। उनके अनुसार उन्होंने संजय पांडे से एक बार व्यक्तिगत मुलाकात के अलवा तीन बार वाट्सएप्प काल पर भी बात की थी। सिंह कहते हैं कि पांडे ने उन्हें अपनी चिट्ठी वापस लेने का तरीका भी बताया। पांडे ने परमबीर से कहा कि आप अपने पत्र में लिखिए कि तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख द्वारा दिए गए एक बयान पर प्रतिक्रिया स्वरूप यह पत्र हमने लिख दिया था। अब मेरे इसी पत्र को देशमुख के विरुद्ध लिखे गए पत्र की वापसी माना जाए। परमबीर ने उच्चन्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा है कि उन्होंने उच्च कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने की दिशा में सचेतक (व्हिसिल ब्लोअर) की भूमिका निभाई है। इसलिए उन्हें संरक्षण प्राप्त होना चाहिए, और उनके विरुद्ध राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई जांचों पर रोक लगाई जानी चाहिए।
बता दें कि मुंबई के पुलिस आयुक्त रहे परमबीर सिंह को मुकेश अंबानी के घर के निकट विस्फोटक लदी स्कार्पियो कार खड़ी किए जाने का प्रकरण सामने आने के कुछ दिनों बाद ही उनके पद से हटा दिया गया था। इसके बाद एक साक्षात्कार में तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा था कि परमबीर का स्थानांतरण सामान्य स्थानांतरण नहीं है। जिम्मेदारियों में गंभीर लापरवाही बरतने के कारण उनका स्थानांतरण किया गया है। देशमुख के इस बयान के दो दिन बाद ही परमबीर सिंह मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर अनिल देशमुख पर पुलिस अधिकारियों से 100 करोड़ रुपए की वसूली का आरोप लगाया था। इसके बाद उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में इन्हीं आरोपों को लेकर एक याचिका भी दायर करने की कोशिश की थी। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें यह याचिका मुंबई उच्चन्यायालय में दायर करने की सलाह दी थी।
उच्चन्यायालय में परमबीर के अलावा इसी विषय को लेकर और भी कई याचिकाएं दायर हो चुकी थीं। जिनमें से एक को आधार बनाते हुए उच्चन्यायालय ने छह अप्रैल को देशमुख के विरुद्ध सीबीआई जांच का आदेश दे दिया है। 15 दिन की प्राथमिक जांच के बाद अब सीबीआई ने अनिल देशमुख के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू कर दी है। दूसरी ओर राज्य सरकार ने परमबीर सिंह पर दबाव बनाने के लिए राज्य के डीजीपी संजय पांडे को दो अलग-अलग मामलों में जांच करने का आदेश दे दिया है।
बता दें कि राज्य सरकार ने क्रमशः 1 अप्रैल एवं 20 अप्रैल को परमबीर सिंह पर राज्य सरकार का आरोप है कि उन्होंने आल इंडिया सर्विस कंडक्ट रुल की धारा 1968 का उल्लंघन किया है। इसका मतलब यह हुआ सरकारी कामकाज में गोपनीयता का उल्लंघन। डिपार्टमेंट सरकार में जो खेल चल रहा था। उसे वैसे ही चलने देना चाहिए था। जैसे 100 करोड़ की वसुली का मामला या फिर भ्रष्टाचार का मामला हो। आपने सार्वजनिक क्यों किया? सार्वजनिक किया है तो जांच का सामना करो। इसलिए सिंह के खिलाफ दो मामलों में सीआरसीपी की धारा 32 के तहत जांच के लिए संजय पान्डे को नामित किया गया है। सिंह कमिश्नर की पोस्ट पर हैं इसलिए उनकी जांच डीजीपी रैंक का कोई अधिकारी ही कर सकता है। सीबीआई को दिए पत्र अनुसार सिंह शिष्टाचार भेंट के लिए संजय पांडे के कार्यालय गए थे, तो सीबीआई जांच का मुद्दा पांडे ने ही उठाया था। सिंह ने सीबीआई को लिखे पत्र एवं उच्च न्यायालय में दायर याचिका दोनों में यह आशंका जाहिर की है कि संजय पांडे द्वारा उन्हें दी गई इस सलाह से पता चलता है कि सीबीआई द्वारा की जा रही अनिल देशमुख की जांच पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है।परमबीर ने सीबीआई को लिखे पत्र में न सिर्फ संजय पांडे के कक्ष में हुई बातचीत का हवाला दिया है, बल्कि उनके साथ वाट्सएप्प काल एवं चैट भी सीबीआई से साझा किए हैं। परमबीर ने ये काल संजय पांडे को बताए बिना ही रिकार्ड कर लिए थे। उनके अनुसार उन्होंने संजय पांडे से एक बार व्यक्तिगत मुलाकात के अलवा तीन बार वाट्सएप्प काल पर भी बात की थी। सिंह कहते हैं कि पांडे ने उन्हें अपनी चिट्ठी वापस लेने का तरीका भी बताया। पांडे ने परमबीर से कहा कि आप अपने पत्र में लिखिए कि तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख द्वारा दिए गए एक बयान पर प्रतिक्रिया स्वरूप यह पत्र हमने लिख दिया था। अब मेरे इसी पत्र को देशमुख के विरुद्ध लिखे गए पत्र की वापसी माना जाए। परमबीर ने उच्चन्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा है कि उन्होंने उच्च कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने की दिशा में सचेतक (व्हिसिल ब्लोअर) की भूमिका निभाई है। इसलिए उन्हें संरक्षण प्राप्त होना चाहिए, और उनके विरुद्ध राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई जांचों पर रोक लगाई जानी चाहिए।
बता दें कि मुंबई के पुलिस आयुक्त रहे परमबीर सिंह को मुकेश अंबानी के घर के निकट विस्फोटक लदी स्कार्पियो कार खड़ी किए जाने का प्रकरण सामने आने के कुछ दिनों बाद ही उनके पद से हटा दिया गया था। इसके बाद एक साक्षात्कार में तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा था कि परमबीर का स्थानांतरण सामान्य स्थानांतरण नहीं है। जिम्मेदारियों में गंभीर लापरवाही बरतने के कारण उनका स्थानांतरण किया गया है। देशमुख के इस बयान के दो दिन बाद ही परमबीर सिंह मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर अनिल देशमुख पर पुलिस अधिकारियों से 100 करोड़ रुपए की वसूली का आरोप लगाया था। इसके बाद उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में इन्हीं आरोपों को लेकर एक याचिका भी दायर करने की कोशिश की थी। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें यह याचिका मुंबई उच्चन्यायालय में दायर करने की सलाह दी थी।
उच्चन्यायालय में परमबीर के अलावा इसी विषय को लेकर और भी कई याचिकाएं दायर हो चुकी थीं। जिनमें से एक को आधार बनाते हुए उच्चन्यायालय ने छह अप्रैल को देशमुख के विरुद्ध सीबीआई जांच का आदेश दे दिया है। 15 दिन की प्राथमिक जांच के बाद अब सीबीआई ने अनिल देशमुख के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू कर दी है। दूसरी ओर राज्य सरकार ने परमबीर सिंह पर दबाव बनाने के लिए राज्य के डीजीपी संजय पांडे को दो अलग-अलग मामलों में जांच करने का आदेश दे दिया है।
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