मोबाइल बाहर रखकर आओ, हम कैमरे के सामने जवाब नहीं देंगें अवैध बांधकामों के बारे में सवाल करने से पहले पत्रकारों को देनी होगी लिखित शिकायत-अजय ऐडके
प्रभाग -१ में दर्जनों अवैध टी गाटर और अवैध आरसीसी इमारतों का अवैध बांधकाम शुरू है इसका जिम्मेदार कौन?
महाराष्ट्र जिले के उल्हासनगर महानगर पालिका में भ्रष्टाचार का बोलबाला है यहां बिना सड़क बनाये ही उमनपा से राशि मांगने का मामला सामने आ गया है। अवैध निर्माण से अवैध वसुली यह यहाँ के ज्यादातर अधिकारियों और नगर सेवकों का मुख्य व्यवसाय है! पत्रकार द्वारा, प्रभाग -1 में अवैध निर्माणों के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देने से प्रभाग अधिकारी अजय ऐडके मना कर देते हैं। क्या इनकी जवाबदेही तंय करेंगे नगरविकास मंत्री और पालक मंत्री?
उल्हासनगर प्रभाग-१ गोल मैदान स्थित प्रभाग कार्यालय में अग्निपर्व टाइम्स संपादक २८ दिसंबर २०२० दोपहर ३.१५ के दरम्यान पहुंचे। वहां देखा वातानुकूलित कार्यालय के आरामदायक कुर्सी पर बैठकर किसी आंगातुक के करारनामें का अवलोकन किया जा रहा था। उनके निकलने के बाद कहा गया मिटींग है थोड़ा रुकिए। थोड़ी ही देर में अवैध निर्माण के ठेकेदार और बीट मुकादम बाहर आ गये और पत्रकार को भीतर जाने की इजाजत मिली, भीतर पहुंचने पर परिचय के बाद सवाल पूछा गया प्रभाग-१ में कई अवैध निर्माण शुरू है आप रोकने के लिए क्या कर रहे हैं? जवाब में आप शिकायत किजिए, जब कहा गया मैं शिकायत क्यों करुं? प्रभाग में क्या हो रहा है यह देखने के लिए मुकादम हैं आप हैं। इसपर अधिकारी का जवाब था हम क्या करते हैं ? क्या नहीं ? यह पूछने वाले तूम कौन हो जवाब में "मैं एक समाचार पत्र का संपादक हूँ""देश का नागरिक हूँ" करदाता हूँ। इस पर कड़े लहजे में कहा गया आप जा सकते हैं, और हमारे किसी सवाल का जवाब नहीं दिया गया। इस तरह के भ्रष्ट अधिकारियों के भरोसे उल्हासनगर महानगर पालिका चल रही हो तो और उम्मीद भी क्या की जा सकती है।
शहाड परिसर प्रभाग-1 में चल रहा टी गाटर अवैध काम
शहाड परिसर प्रभाग-1 में चल रहा टी गाटर अवैध काम
कहने को तो हमारे देश के संविधान और लोकतंत्र में जनता का राज है। परंतु प्रत्यक्ष में जनता लावारिस और गुलाम ही नजर आती है, ऐसा कहने की नौबत तब आती है, जब एक लोकसेवक राजा की तरह वातानुकूलित कमरे में आराम - दायक कुर्सी पर बैठता है, वहीं जनता को खड़ा रहना पड़ता है उनके बैठने तक का इंतजाम नहीं होता उनको मुजरिमों की तरह दरवाजे पर खड़े रहकर साहब से मिलने का इंतजार करना होता है। जिस प्रभाग कार्यालय में प्रभाग अधिकारी से मिलने के लिए, आने वालों के बैठने का कोई इंतजाम न हो। ऐसे प्रभाग अधिकारी से जनता के भले की उम्मीद भी क्या की जा सकती है? यह एक गूढ़ प्रश्न है।


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