ठाणे जिले के उल्हासनगर शहर में लाकडाऊन के दौरान शराब की बोतलें कई जगहों पर दस से बीस गुना ज्यादा दाम में मिल रही हैं। बतादें कोरोना महामारी के चलते लाकडाऊन का २१ दिनों का एक सत्र पूरा हुआ और १९ दिनों का दूसरा सत्र सुरु हुआ है। लाकडाऊन के दौरान लोगों को बिना जरूरी काम के घरों से निकलने पर पाबंदी है वंही शराब माफिया शराब की तस्करी कर शहर में लाने में कामयाब हो जा रहे हैं। और यह लाई गई शराब, शराबियों को दस से बीस गुने दाम में बेंच रहे हैं। हाथ भट्टी शराब की एक बोतल रुपये ३५०/में तथा बियर की एक बोतल ४५० में बिक रही है। कोरोना बिमारी में लोगों को नसामुक्त रहने की सलाह दी गई है जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे और बिमारी का असर न हो परंतु पुलिस प्रशासन की मदद से उल्हासनगर के कई हिस्सों में शराब की बिक्री जोरों पर है। हाथभट्टी शराब तो आमतौर से बंद है परंतु पुलिस विभाग को खर्चा पानी देकर पहले भी बेंचा जाता रहा है। परंतु आश्चर्य की बात यह है कि चप्पे-चप्पे पर पुलिस होने के बावजूद शहर में अवैध शराब बिक रही है। शराब बंदी विभाग और पुलिस विभाग की लापरवाही और लालच के चलते कोरोना जैसी महामारी शहर को अपने गिरफ्त में ले सकती है। उल्हासनगर दो के आजाद नगर के संतोषी माता मंदिर के पास शास्त्री नगर के पास, चोपड़ा कोर्ट के अलावा मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन कि हद में कई जगह शराब धड़ल्ले से बीक रही है। बताया जाता है गोवा से शराबतस्करी में उल्हासनगर गुनाह शाखा का एक पुलिस कर्मी भी सामील है। इसलिए तस्करी रोक पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। अब देखना यह है कि क्या पुलिस अपनी लालच को छोड़कर इन लोगों पर कोई कार्रवाई करती है या इसी तरह हंसी की पात्र बनी रहती है।
मेरा नाम कमलेश दुबे है, मूलतः हम उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। परंतु मेरा जन्म महाराष्ट्र, ठाणे जिले के उल्हासनगर शहर में 15 नवंबर 1965 को हुआ। मेरी प्राथमिक शिक्षा उल्हासनगर कैम्प नं.एक आनंदशाला स्कूल से शुरू हुई जहाँ पहली से पांचवी तक पढने के बाद आगे की शिक्षा के लिए सेन्चुरी रेयान स्कूल में दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद उल्हासनगर के ही RKT कालेज में उच्च शिक्षा के लिए दाखिला लिया और बारहवीं तक पढ़ने के बाद कालेज छोड़ कर ठेकेदार बन गया और साथ ही पत्रकारिता करता रहा।
मेरा नाम कमलेश दुबे है, मूलतः हम उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। परंतु मेरा जन्म महाराष्ट्र, ठाणे जिले के उल्हासनगर शहर में 15 नवंबर 1965 को हुआ। मेरी प्राथमिक शिक्षा उल्हासनगर कैम्प नं.एक आनंदशाला स्कूल से शुरू हुई जहाँ पहली से पांचवी तक पढने के बाद आगे की शिक्षा के लिए सेन्चुरी रेयान स्कूल में दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद उल्हासनगर के ही RKT कालेज में उच्च शिक्षा के लिए दाखिला लिया और बारहवीं तक पढ़ने के बाद कालेज छोड़ कर ठेकेदार बन गया और साथ ही पत्रकारिता करता रहा।
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