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उमनपा मुख्यमंत्री व उच्चतम न्यायालय के आदेश को कचरे की टोकरी में डालने की हिम्मत रखती है।

ऐसा सिर्फ उल्हासनगर में हो सकता है.....     राष्ट्रीय महामार्ग को रिंगरोड, बताकर मनपा के पैसे से बनाया गया! वनविभाग से NOC लेना भूल गये सेंचुरी स्कूल के सामने सिर्फ 60 फुट!! रिजेंसी एंटिलिया के लिए बनाया रोड, पंसारे समिति की जांच चालू सदनिका विक्री भी चालू।

         आयुक्त मनीषा आव्हाळे.           और.          मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणविस 

उल्हासनगर (अग्निपर्व टाइम्स) : उल्हासनगर से सटे म्हारल गांव में महाराष्ट्र सरकार ने "म्हारल शेतकरी संस्था" को खेती के लिए जमीन दिया था। वह जमीन झोलझाल कर रिजेंसी निर्माण संस्था को बेच दी गई जिसकी जांच शुरू है। परंतु उल्हासनगर महानगर पालिका ने विवादास्पद इमारतों की खरीद बिक्री न हो, आम खरीददार न फंसे कोई कोई बैनर नहीं लगाया और न ही समाचारपत्रों में आवाहन नहीं किया है कि अवैध इमारतों में सदनिका खरीदने से बचें। बल्की इस घोटाले को समर्थन देने के लिए आनन फानन में राष्ट्रीय महामार्ग को रिंगरोड दिखाकर कहीं सौ फिट तो कहीं 70/80 फिट बना दिया ताकि रिजेंसी एंटिलिया जाने की बढिया सुविधा हो और करोड़ों के बंगले, फ्लैट के खरीददारों के वाहन उनके घरों तक बिना ट्राफिक में फंसे, आराम से घरों तक पहुंच जाये। 
      अनिल परब जिन्होंने रिजेंसी एंटिलिया का मुद्दा विधानसभा में उठाया 

 बतादें "साई विश्वेश्वर सहकारी आवास संस्था" यह कोई NGO नहीं है। यह साई विश्वेश्वर नामक इमारत के रहवासियों की सोसायटी है। इस सोसाइटी का कुछ हिस्सा अवैधानिक तरीके से बनाई गई सड़क निर्माण में बाधित हुआ है परंतु उनको आज तक मुआवजा नहीं मिला है। है न आश्चर्य की बात धनाढयों को अमीर बनाने के लिए मध्यमवर्गीय लोगों को गरीब और बेघर बना दिया गया। इसी सोसाइटी में दिपक बसंतानी नामक भाजपा का एक पुराना कार्यकर्ता रहता है। पर भले ही वह सत्ताधारी पार्टी का कार्यकर्ता है, पर उसके पास वरिष्ठ नेताओं को देने के लिए चंदा नहीं है, शायद यही कारण है कि वह दौड़ दौड़ कर अपनी ही पार्टी के लोगों से गुहार लगा रहा है, कि उसकी इमारत जो आनन फानन में तोड़ दी गई है। वहाँ रह रहे लोगों को मुआवजा मिले। पर गरीबों के लिए भगवान के सिवा कोई नहीं है। अफसोस की बात यह है कि कोर्ट के आदेश और मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणविस द्वारा दिए गए पत्र को भी मनपा तव्वजो नहीं दे रही है। 
        भाजपा कार्यकर्ता दिपक बसंतानी 

बतादें जब उमनपा ने राष्ट्रीय महामार्ग को रिंगरोड बताकर बिना मुआवजा दियें आम शहरियों के मकानों को तोड़ दिया तब "साई विश्वेश्वर सहकारी आवास संस्था" द्वारा 16 जुलाई 2018 को मुख्यमंत्री कार्यालय को एक पत्र दिया गया। शहरी विकास विभाग ने 19 दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणविस के निर्देशानुसार कानून के तहत कार्रवाई करने के लिए उल्हासनगर नगर निगम को पत्र जारी किया था। तथा सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने आदेश एसएलपी (सी) संख्या 27961-27963/2018 दिनांक 13 दिसंबर 2018 को कानून के अनुसार मुआवजा देने का निर्देश दिया था। परंतु समाचार लिखे जाने तक उल्हासनगर नगर निगम ने कोई कदम नहीं उठाया है और न ही सोसाइटी के लोगों को बातचीत के लिए बुलाया है। सोसाइटी के लोग लगातार नगर निगम कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन मनपा आयुक्त प्रशासक जब वरिष्ठ भाजपा नेताओं को नहीं मिलती तो यह तो फिर भी गरीब लोग हैं मनपा आयुक्त को गुलदस्ता भी नहीं दे पायेंगे। न्याय के लिए "साई विश्वेश्वर सहकारी आवास संस्था" के 12 पीड़ित परिवारों के साथ भाजपा का पूराना कार्यकर्ता दिपक बसंतानी भी शामिल है। और संघर्ष कर रहा है। कहा जाता है न्याय के लिए उच्च अधिकारियों और मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क करने के कारण मनपा आयुक्त नाराज हैं। इसलिए वे पिछले 7 वर्षों से चल रहे इस संघर्ष पर ध्यान नहीं दे रही हैं। सोसाइटी के रहवासियों और भाजपा कार्यकर्ता ने एक बार फिर पत्र देकर मुख्यमंत्री से ध्यान देने की अपील की है। देखना होगा कि मुख्यमंत्री और उल्हासनगर महानगर पालिका ध्यान देकर आवश्यक कार्रवाई करते हैं या फिर "साई विश्वेश्वर सहकारी आवास संस्था" के लोग थककर सब भूलकर अपना दुख अपने सीने में समेट कर शासन और प्रशासन के साथ अपनी गरीबी पर भगवान को कोसकर शांत हो जाते हैं। या महाराष्ट्र के किसानों की तरह कोई कठोर कदम उठा लेते हैं। जो बाद में सभी समाचारों की सुर्खियां बन जाय। सभी प्रासंगिक पत्र और सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय/आदेश अग्निपर्व टाइम्स के पास मौजूद है। 



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