फाइल फोटो सुरेश उर्फ पप्पू कालानी जेल जाते हुए
उल्हासनगर: उल्हासनगर के कुख्यात व उम्रकैद सजायाफ्ता पप्पू कालानी को सांठगांठ कर मुख्यमंत्री रहे उद्धव ठाकरे के कार्यकाल में 'कोविड-19 के चलते 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को पे रोल पर 2021 में जेल से छोड़ा गया था। बाहर आने के बाद बिमारी व अच्छे चाल चलन का बहाना बनाकर तत्कालीन सरकार ने छोड़ दिया और फिर जेल जाने से बच गये।
पप्पू कालानी. ओमी कालानी. शरद पवार. जितेन्द्र अव्हाड़
सरकार बदली भाजपा की सरकार आयी, उन्हें बरी करने में कई खामियां मिली, पूर्व सरकारी वकील ने बारिकियों की अनदेखी कर दिया था। यह सब मुद्दे जब अधिवक्ता अनिता कटारिया ने सरकार के समक्ष पेश किया तो उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणविस ने सरकार की ओर से अनीता कटारिया को ही वकील नियुक्त कर के केस फाईल करने की अनुमति दे दी और उस मुकदमे की तारीख 25 अक्टूबर 2024 पड़ी है। वकील का कहना है कि इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा। CNR NO:- HCBMO 10001432024, फाईलिंग डेट 02/01/2024, ठाणे डिविजन बेंच की न्यायाधीश श्रीमती भारती डांगरे और श्रीमती मंजुसा देशपांडे के सामने सुनवाई के लिए रखी गई है। भा.दं.सं. शस्त्र अधिनियम अंतर्गत 25(1-बी)(ए),7,25(1-सी) 302 आर/डब्ल्यू 34, 120(बी) के तहत सुनवाई होनी है।
उल्हासनगर में सुरेश उर्फ पप्पू कालानी का उदय 1986 के नगरपालिका चुनाव में कांग्रेस पार्षद के रुप में हुई। 1987 में नगराध्यक्ष व तीन वर्ष बाद (1990) के विधानसभा चुनाव से कांग्रेस विधायक बने। विधायक बनते ही सत्ता का नशे में चूर विरोधियों को निपटाने लगे।रिक्शा युनियन नेता स्व.रमेश चव्हाण के कत्ल के बाद उदय हुए पप्पू कालानी का रिक्शा यूनियन नेता मारुति जाधव की हत्या के मामले से अस्त हो गये। 1992 में टाडा लगा, 2002 तक 10 वर्ष पुणे की यरवडा जेल में रहे। टाडा हटने के बाद जेल से बाहर आये और घनश्याम बठिजा कत्ल मामले में फिर 2012 में उम्रकैद की सजा पाकर जेल चले गये। पप्पू के गुरु शरद पवार की पार्टी सत्ता में आई, भले ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे रहे हों, परंतु गृहमंत्री शरद पवार कंपनी के ही थे। यही कारण रहा कि कोविड-19 के चलते 70 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के साथ जेल से पे-रोल पर बाहर आये परंतु जेल वापस नहीं गये।
उम्र कैद की सजा लगने के बाद अपनी धर्मपत्नी ज्योति कालानी को चुनाव लड़ाया और वे जीतकर विधायक बनी, अब स्वर्गीय हैं।उन्होंने कोई विकास नहीं किया, हां विधानसभा में अवैध इमारतों के मुद्दे उठाती रहीं परंतु एक भी इमारत पर कार्यवाही नहीं हुई, आज तक अवैध निर्माण रुका भी नहीं। अब पुत्र ओमी कालानी को विधानसभा चुनाव लड़ाने में व्यस्त पप्पू कालानी को उस सजा का डर सताने लगा है जिससे वे बरी हो गये थे। न्यायाधीशों ने अगर घर आने दिया तो बेटे के चुनाव में मददगार होंगे। जेल चले गये तो ओमी कालानी को पिता पप्पू कालानी के बगैर ही चुनाव लड़ना पड़ेगा! अब न्याय की देवी 25 अक्टूबर 2024 को क्या करती हैं यह तो समय ही बतायेगा।
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