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परिवार से भटकी, फुटपाथ पर पड़ी लावारिस महिलाओं की रक्षक अक्षता उत्तेकर।

अक्षता उत्तेकर को पता चलने के बाद कोई महिला सड़क पर लावारिस नहीं रह सकती है। 

      अक्षता उत्तेकर 

कल्याण अपटा संवाददाता 
कल्याण रहवासी 45 वर्षीय अक्षता उत्तेकर एक सामाजिक कार्यकर्ता नहीं एक जिम्मेदार नागरिक की तरह बिना भयभीत हुए पुलिस विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार से भी टकरा जाती हैं। लोगों को न्याय दिलाने जैसे बहुत सारे सामाजिक कार्य करती हैं। हाल ही में, उन्होंने मुलुंड में एक 30 वर्षीय महिला को भूख से परेशान फुटपाथ पर लेटे हुए देखा। न जाने कब से वह इस हालत में थी और अन्य आने जाने वाले लोगों ने उसे अनदेखा किया हुआ था। परंतु जैसे ही अक्षता ने महिला को देखा, उन्होंने कुछ करने का फैसला किया। वह नीचे उस परेशान महिला से उसका नाम और पता पूछा। बेचारी महिला बस अक्षता को देखती रही शायद वह कुछ बोल पाने की स्थिति में नहीं थी। अंधेरा हो रहा था और उस असहाय महिला के साथ रात के अंधेरे में कुछ भी हो सकता था। महिला देखने में किसी अच्छे परिवार से लग रही थी। उसे फुटपाथ पर रहने देना खतरे से खाली नहीं था। अक्षता उत्तेकर ने तत्काल फैसला लिया कि इसे फुटपाथ पर रहने देने के बजाय किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाना चाहिए, अक्षता उस महिला को माहुल, ग्रेस फाउंडेशन के आश्रय में ले गई। मुलुंड पुलिस को जब घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने उनके इस कदम की सराहना करते हुए एक पत्र जारी कर उनका मनोबल ही नहीं बढ़ाया, धन्यवाद भी दिया।
इसी तरह उल्हासनगर के नेहरू चौक के आसपास सड़कों पर घूम रही महिला को उठाकर कर्जत के आश्रम में पहुंचाया था। उस कार्य में उल्हासनगर की स्थानीय पुलिस उनका सहयोग नहीं कर रहा था। परंतु कार्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए वे पुलिस से भीड़ी रहीं और उन्होंने अग्निपर्व टाईम्स संपादक से फोन पर संपर्क किया और अग्निपर्व टाईम्स ने इस नेक काम में उनकी मदद अपने पोर्टल पर खबर लिखकर किया। और पुलिस प्रशासन अपनी बदनामी को देखते हुए हरकत में आया और अक्षता को मदद दी जिससे वह महिला अच्छे भोजन और दवा की हकदार बनी जिसकी तस्वीर बाद में अक्षता ने अग्निपर्व के साथ साझा किया था।
माज की खुशहाली के लिए, पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार कम हो और गरीबों को न्याय मिल सके इस उद्देश्य से अग्निपर्व टाईम्स अक्सर पुलिस प्रशासन में चल रहे भ्रष्टाचारों को उजागर करता रहता है। ठाणे परिमंडल चार उल्हासनगर उपायुक्त डा.सुधाकर पाठारे के कई भ्रष्टाचारों को अग्निपर्व टाईम्स ने उजागर किया था और लगातार कर रहा था। उससे परेशान होकर डीसीपी पाठारे ने कमलेश विद्रोही के एक परिचित विनोद खथुरिया पंजाबी को तैयार कर, आर्म्स एक्ट के तहत उन पर उल्हासनगर के ही सेंट्रल पुलिस स्टेशन को एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा और मध्यवर्ती पुलिसस्टेशन ने तीन महीने पुरानी एक अर्जी को आधार बनाकर झूंठा मुकदमा दर्ज भी कर लिया। मामले में सच्चाई नहीं है यह जानते हुए, संपादक को अग्रिम जमानत मिल गई। यह तो हुई घटना की चर्चा परंतु इस घटना से आहत अक्षता उत्तेकर व मितुल पोद्दार ने महाराष्ट्र पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों और देश की सभी जांचकर्ता संस्थाओं को पत्र लिखकर जांच करने की मांग की, ताकि पुलिस की पोल खुल सके और संपादक को न्याय मिल सके। न्याय दिलाने के लिए अक्षता मैदान में उतर गयीं। और अब जहॉं भी स्टेटमेंट के लिए बुलाया जा रहा है वहाँ पहुँचकर अपना पक्ष रखकर अग्निपर्व टाईम्स के संपादक की लड़ाई वे खुद लड़ रही हैं। अक्षता उत्तेकर जैसी बहादुर, कर्तव्यनिष्ठ समाजसेवी महिला की जरूरत महाराष्ट्र ही नहीं पूरे देश को है। ऐसी मातृ-शक्ति को अग्निपर्व टाइम्स का शत-शत नमन। 

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