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महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में पुलिस अधिकारियों का कार्यक्षेत्र बिकता है बोलो खरीदोगे?

ठाणे के भ्रष्ट पुलिस उपायुक्त ने रु. ३ करोड़ देकर खरीदा मुंबई पुलिस उपायुक्त का पद? 

                  मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अभिजित दरेकर 

कल्याण : महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस अफसरों के तबादले पर मुहर उस समय लगायी, जब वरिष्ठ पुलिस अधिकारी गणेशोत्सव की व्यवस्था में व्यस्त थे, राज्य सरकार ने राज्य के कई वरिष्ठ अधिकारियों का तबादला कर दिया। 
.                 अभिजित दरेकर और सांसद श्रीकांत शिंदे 

ठाणे परिमंडल-४ उपायुक्त डा. सुधाकर पाठारे का तबादला सातारा जिले के अधिक्षक के रुप में हुआ था। परंतु वे नाखुश थे, इसलिए उन्हें फिर ठाणे परिमंडल-४ में उपायुक्त के रूप में स्थापित किया गया यह तो जग जाहिर हो गया है। परंतु अब जो सूत्र बताते हैं, वह जानकर अंबरनाथ विधानसभा में डा. बालाजी किणीकर को वोट देने वालों का सर शर्म से झुक जायेगा। साथ ही महाराष्ट्र की स्थिति भी कुछ कम न होगी, क्योंकि एक भ्रष्ट अधिकारी ने उनकी सहायता से, मुख्यमंत्री और सांसद के करीब अभिजीत दरेकर की मध्यस्थता से ३ करोड देकर,मांडवली कराकर सुधाकर पाठारे को मुंबई डीसीपी पद पर तैनात कराया गया है। इस आरोप में कहाँ तक सत्यता है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा परंतु यह जांच सीवीसी या फिर रिटायर्ड हाईकोर्ट के न्यायाधीश से कराया जाना चाहिए। अगर इसी तरह पुलिस अधिकारियों के तबादले का व्यवसाय चलता रहा तो आप समझ लिजिए कि अधिकारी तीन करोड़ देकर पद लेगा तो वह सेवा करेगा या फिर भ्रष्टाचार कर अपने दिये गये रुपयों को चौगुना या फिर दस गुना करेगा? महाराष्ट्र में जबसे शिंदे सरकार स्थापित हुई है तबसे महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार का बोलबाला कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। ठाणे जिले पर तो कुछ ज्यादा ही भ्रष्टाचार मेहरबान है। 

           पुलिस उपायुक्त डा. सुधाकर पाठारे 

क्या लग रहे आरोप की जांच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री करायेंगे?ठाणे परिमंडल चार पुलिस उपायुक्त को समय से ज्यादा उल्हासनगर में क्यो रखा गया? जब तबादला सातारा अधिक्षक के रुप में कर दिया गया, सूची जारी हो गई, तबादले के समाचार छ्प गये, परिमंडल तीन के उपायुक्त को परिमंडल चार का चार्ज दे दिया गया। उसके कुछ घंटों के भीतर ही फिर से सुधाकर पाठारे को वापस ठाणे शहर परिमंडल चार उल्हासनगर में बुला लिया गया और चार्ज दे दिया गया। क्या पहले बिना विचार के ही तबादला कर दिया गया था या फिर बोली कम थी, यह सवाल अब जनता कर रही है। जवाब कौन देगा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे या या फिर गृहमंत्री देवेन्द्र फडणवीस।

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