उमनपा आयुक्त अजीजशेख
उल्हासनगर (नि.सं.) मुंबई उच्च न्यायालय ने उल्हासनगर मनपा प्रशासन को 855 अवैध निर्माणों के मामले में सख्त ताकिद दी थी कि अब शहर में अवैध निर्माण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किये जायेंगे, इसके बाद भी कई बार अवैध निर्माणों को संरक्षण देने के मुद्दे पर उल्हासनगर मनपा प्रशासन को उच्च न्यायालय की फटकार सुनने को मिली है, बावजूद इसके उल्हासनगर में अवैध निर्माण बदस्तूर जारी है रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ताज्जुब की बात यह है कि मनोज पंजवानी, महेश बुकी, सन्नी लालवानी जैसे कुछ अवैध निर्माणकर्ताओं को उल्हासनगर मनपा प्रशासन उच्च न्यायालय से भी ज्यादा तवज्जो देता है। लाखों रुपये और समय खर्च कर न्यायालय से आदेश लाने के बाद जब उन आदेशों पर भ्रष्टाचार भारी पड़ जाय और आदेश कार्यान्वित न हो तो आम इंसान का भरोसा न्यायालय और शासन प्रशासन पर कैसे टिका रहे, यह एक सोचने-समझने वाला विषय है।
तोड़ी गई इमारत की रिपेयरिंग शुरू है
भ्रष्ट आयुक्त के बल पर ऐसे पथभ्रष्ट लोग बिंधास, सीना चौड़ा करके शहर में कहीं भी जमीन कब्जा करते हैं और घटिया दर्जे के माल मटेरियल से अवैधनिर्माण कर कानून का उल्लंघन तो कर ही रहे हैं, साथ ही लोगों की जान व मेहनत कर कमाई गयी पूंजी के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसे खुदगर्ज लोगों द्वारा बनाया गया घटिया व अवैध निर्माण कुछ ही समय बाद धाराशायी हो जाता है, और हादसों में बड़े पैमाने पर जान और माल का नुकसान हो जाता है। इसी तरह पूर्व में जल्दबाजी व घटिया संसाधनों से किया गया अवैध निर्माण शहर में आज गिर रहा है या गिराया जा रहा है।
उल्हासनगर मनपा प्रशासन पर अवैध निर्माणकर्ता मनोज पंजवानी व उसकी गैंग कितनी हावी है? उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बड़े दबाव के बीच दलबल के साथ पहुंचा मनपा प्रशासन इमारत को जमींदोज करने की बजाय एक दो छेद करके चला गया, यही नहीं शहर में अनगिनत निर्माण बिना उमनपा से नक्शा पास करवाये ही शुरू है और प्रशासन आंखों पर नोटों की पट्टी बांध कर अंधा बना बैठा है। इस गैंग द्वारा बिना विकास प्रभार भरे ही विकासकार्य कर मनपा का लाखो-करोड़ो का राजस्व चोरी किया गया। बानगी हैं शहर में कई बड़े-बड़े अवैध निर्माण जो इमानदार भवन निर्माताओं को मुह चिढ़ाते हैं। हाल ही में उमनपा प्रशासन भारी दबाव में आकर इसी गैंग द्वारा बैरक नंबर 543 के पास, उल्हासनगर-2 में एक अवैध निर्माण को दिखावे की तोड़ू कार्यवाही कर अपनी खाल बचाने की कोशिश किया। परंतु कार्यवाही के महज कुछ ही घंटो में अवैध निर्माण करने वाले मनोज पंजवानी, महेश बुकी ने फिर से उस तोड़े गये हिस्से को वापस बना लिया और वह अवैध निर्माण बेचने के लिए तैयार कर दिया। इस तरह उल्हासनगर मनपा के भ्रष्ट अधिकारी मोटी रकम लेकर न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाकर अवैध निर्माणों को संरक्षण दे न्यायालय का मखौल बना रहे हैं। महज दिखावे के लिए हल्की सी तोडू कार्यवाही कर उस एमआरटीपी एक्ट के तहत मामला दर्ज करते हैं जिस एक्ट में आज तक किसी अवैध निर्माणकर्ता को सजा ही नहीं हुई। इस तरह अवैध निर्माणकर्ताओं को बचाने की पूरी साजिश रची गयी। अब देखना होगा कि उमनपा प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही कर नगर विकास मंत्रालय उच्च न्यायालय का मान-सम्मान बरकरार रखता है या फिर न्यायालय के आदेशों की धज्जियाँ उड़ाने व लोगों का विश्वास खोने के बाद भी आंखों पर नोटों की पट्टी बांधकर अवैध निर्माणों का सिलसला जारी रखता है।
1 टिप्पणियाँ
उल्हासनगर मनपा आयुक्त नहीं ठेकेदार और दबंग नेता चला रहे मनपा आयुक्त व अधिकारी तो सिर्फ गांधीजी के तीन बंदर बनें है बस उन्हें अपना हिस्सेदारी चाहिए, धिक्कार है महाराष्ट्र सरकार पर इन पर मेहरबान है
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