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कोलसेवाड़ी पुलिस स्टेशन में दंड पावती कडोमपा के नाम पर मिलती है। मुहर, हस्ताक्षर नहीं होता है!!

विहार रेस्टो-बार में रात 9 बजे बिक रही थी शराब, कोलसेवाड़ी पुलिस ने मांगे 5 हजार दी 5 सौ रुपये की पावती बिना मामला दर्ज किए ही छोड़ दिया!!

पुलिस पावती देती है कडोमपा की उसपर मुहर व हस्ताक्षर नदारद!

कल्याण संवाददाता 
कल्याण पुर्व कोलसेवाड़ी पुलिस स्टेशन की हद में कोलसेवाड़ी नाका स्थित विहार रेस्टो - बार में बंदी के बावजूद रात को बिक रही थी शराब! पत्रकार ने किया कंट्रोल को फोन, फोन के पश्चात बिना वर्दी के दो पुलिस कर्मी घटना स्थल पर पहुंचे। दो दुकानदारों से पांच हजार लेकर कडोमपा की रसीद देकर छोड़ दिया। 

कल्याण पुर्व के कोलसेवाड़ी नाके पर विहार बार अंड रेस्टोरेंट है। जहाँ 30 जुलाई 2021 को करोना महामारी के सभी नियम व शर्तों को दरकिनार कर रात 9 बजे तक शराब की बोतलें बेची जा रही थी। यह देखकर पत्रकार शिल्पा सोनी ने कल्याण कंट्रोल रूम को फोन कर इस घटना के बारे मे सूचना दी। पुलिस को न आता देख पहले ठाणे और बाद में मुंबई डीजीपी कंट्रोल को फोन पर सूचना दी। डीजी कंट्रोल के बाद कोलसेवाड़ी पुलिस स्टेशन से दो पुलिस कर्मी आये वह भी बिना वर्दी के। उन्होंने करीब सौ फुट के फासले पर स्थित जेब्रा बियर शापी से एक बियर की बोतल खरीदी और बियर शापी के मालिक को पकड़ लिया। शिल्पा के यह कहने पर मैंने विहार बार के लिए फोन पर इत्तला दी थी। दोनों पुलिस वाले विहार बार गये और वहाँ से भी एक आदमी को साथ ले लिया और दोनों को लेकर कोलसेवाड़ी पुलिस स्टेशन पहुंचे जहाँ  शिल्पा भी पहुंच गयीं। पुलिस स्टेशन पहुंच कर शिल्पा की शिकायत लिखने की बजाय पुलिस वालों ने टाल-मटोल शुरू कर दिया। सुत्रों के अनुसार पत्रकार को वहाँ से हटाने के बाद पुलिस वालों ने विहार बार व जेब्रा बियर शापी के मालिक दोनों से कहा 5 हजार रुपये की पावती देकर तुम लोग अपने घर जा सकते हो दोनों ने ही अपने-अपने घरों से 5 हजार रुपये मंगाकर पुलिस वालों को दे दिए और पुलिस ने उन्हें कल्याण डोम्बिवली मनपा की रसीद थमा कर छोड़ दिया। मजे की बात तो यह है कि उस रसीद पर किसीके हस्ताक्षर नहीं थे। उस रसीद पर 5 हजार रुपए की जगह 5 सौ रुपये लिखा गया। अब सवाल यह उठता है कि बचे हुए बाकी के 9 हजार रुपये कहाँ गये? कडोमपा की रसीद देने के लिए रात 11 बजे पुलिस स्टेशन में कौनसा कर्मचारी मौजूद था? उसने रसीद पर मनपा की मुहर लगा कर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया?          यही वह दो रसीद है जिसमें न मुहर है न हस्ताक्षर 

थाना इंचार्ज साल्वे से फोन कर पूछे जाने पर उनका जवाब था कि "मैं सोमवार से छुट्टी पर हुं " परंतु पुलिस स्टेशन में पूछे जाने पर पता चला कि थाना इंचार्ज साल्वे वंही पर थे। इस तरह से कोलसेवाड़ी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक साल्वे झूंठ बोलते हैं। सुत्र बताते हैं। निरीक्षक साल्वे झूंठ ही नहीं बोलते एक अय्याश किस्म के अधिकारी हैं। उनके कार्यालय में हर वक़्त शराब की बोतल मौजूद रहती है। यही नहीं उनके कार्यालय में खुलने वाला एक वातानुकूलित कमरा है, जहाँ पलंग और बिस्तर की व्यवस्था होने के साथ ही हम बिस्तर होने के लिए महिलाएँ भी आती हैं। इस तरह के पथभ्रष्ट अधिकारी से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है? इस तरह साल्वे अपने अधिनस्थ कर्मचारियों से वसुली करवाते हैं।

रसीद की एक प्रति और कंट्रोल को किए गये फोन काल की रिकार्डिंग अग्निपर्व टाइम्स के पास मौजूद है। 

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