कमलेश दुबे
पिछले ३ वर्षों से विवादास्पद जनसंपर्क अधिकारी युवराज भदाणे के खिलाफ अनेकों सबूत होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस बात की लड़ाई लड़ रहे, पुर्व शिवसेना नगरसेवक, पत्रकार दिलिप मालवणकर व उनके सहयोगी रामेश्वर गवई ९ अगस्त २०२१ क्रांति दिवस के दिन मुंबई के आजाद मैदान पर करेंगे भुख हड़ताल।
उल्हासनगर महानगर पालिका में कार्यरत विवादास्पद जनसंपर्क अधिकारी युवराज भदाणे के भ्रष्टाचार के खिलाफ पिछले ३ वर्ष से लड़ाई लड़ रहे मालवणकर के अनुसार भदाणे की डाक्टरेट उपाधि फर्जी है। उन्होंने उमनपा में नौकरी से जुड़ने के लिए आरकेटी कालेज का एक प्रमाणपत्र स्वहस्ताक्षर से बनाया जिसमें अपनी उम्र का इसवी सन बदलकर ७० से ७२ कर दिया है। जानकारी मांगने पर उल्हासनगर स्थित आरकेटी कालेज ने लिखित रूप में दिया है कि यह प्रमाणपत्र हमारा नहीं है। हमारे पास जो प्रमाणपत्र है उसका रजिस्टर नं.२२५४ है। और उसमें जन्म तारीख १/६/७० है। भदाणे के खिलाफ कई मुकदमे न्यायालय में लंबित हैं। जैसे प्रमोद टाले द्वारा दायर अपराधिक जनहित (PIL)याचिका जिसमें आरोप है भदाणे ने फर्जी प्रमाण पत्र व फर्जी मुहर बनवाकर लोगों को गुमराह किया है। इसी तरह दयाराम ढोंबले को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के साथ ही अट्रासिटी मामला। विनय भंग के २ मामले हैं। बनावटी तौर से कार के साथ महत्वपूर्ण फाइलों को जलाकर सबूत नष्ट करने के मामले को अमृतपाल सिंह खालसा लड़ रहे हैं। उमनपा मालमत्ता कर घोटाले के अलावा फर्जी अनुभव दाखिला देने का आरोप। इतने आरोपों के बाद भी भदाणे जनसंपर्क अधिकारी बना बैठा है। उल्हासनगर मनपा आयुक्त की क्या मजबूरी है? जो कार्यवाही के आड़े आ रही है।
भ्रष्टाचार के आरोप सबूत के साथ शिवसेना पुर्व नगरसेवक लगा रहें हैं। और सत्ता में शिवसेना बैठी है। महापौर शिवसेना से पालक व शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे के होने के बाद भी एक शिवसैनिक को न्याय नहीं मिल रहा है। उन्हें अब अपनी ही पार्टी के कानों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए उल्हासनगर से मुंबई जाकर आजाद मैदान में अनशन पर बैठना होगा! शिवसैनिक होने का फर्ज निभाते हुए उन्होंने कहा कि यह उपोषण उल्हासनगर मनपा आयुक्त से अपनी मांग मनवाने के लिए है। परंतु यह कौन नहीं जानता कि पालक मंत्री और मुख्यमंत्री का आदेश मानने से आयुक्त मना कैसे कर सकते हैं? इससे आप समझ सकते हैं कि पैसों में कितना जोर होता है। और पार्टी खड़ा करने वाले कार्यकर्ता की, सत्ता से बाहर होने पर क्या औकात है?
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